मेरे प्यार के गाँव में
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जब शाम ढले,कोयल कुके,
पंछी चहके जब दिल धड़के,
चले आना बरगद के तले,
मेरे प्यार के गाँव में
जब अकेलापन तुम्हें डराने लगे,
तन्हाई तुम्हें जब सताने लगे,
चले आना मेरे जीवन की छाँव में,
मेरे प्यार के गाँव में।
जब तेरे जीवन में अन्धेरा आने लगे,
अपने भी तुम्हें जब ठुकराने लगे,
नहीं दे कोई भी जब सहारा तुम्हें,
चले आना तुम मेरे ठौर ठाँव में।
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अरविंद अकेला
महासचिव , साहित्यकुंज ,औरंगाबाद
अपने श्री राम भाई को दिल से आभार।