कविता
आँखें
-------------
आँखों की खता तुम मत पूछो,
जाने यह क्या-क्या करती हैं,
कभी-कभी खामोश यह रहती,
कभी यह बातें करती हैं।
आँखों का तारा जो होता है,
दिल का प्यारा वो होता है,
मेरे मन की यह कोई बात नहीं,
चंचल नयना यह कहती हैं।
आँखों की खता आँखें ही जाने,
दिल की बात यही पहचाने,
जुबाँ जब खामोश हो जाये,
आँखें ही बातें करती हैं।
आँखें जब किसी की बोलती हैं,
दिल का हर राज खोलती हैं,
आँखें जब हो जाये चुप,
समझो वह किसी को तौलती हैं।
-----0----
अरविन्द अकेला