गजल
कैसे भूला दूँ मैं तेरा प्यार इस दिल से,
तुम बिन मेरा कोई वजूद हीं नहीं है।
यह जिन्दगी मेरी सिर्फ तेरे नाम की है,
तुम बिन नहीं कोई मेरी जिन्दगी नहीं है।
तुमने ही तो आखिर मुझे जीना सिखाया,
तुझको भूला दूँ मैं,मुझमेहिम्मत नहीं है।
तुझे पूजता हूँ मैं,अपने हीं इस दिल में,
इस दिल से महफुज कोई जगह नहीं है।
तुम बिन यह जीवन जी नहीं सकूँगा,
तुम बिन मेरा कोई दुसरा भी नहीं है।
-----0----
अरविन्द अकेला