Type Here to Get Search Results !

कैसे दें चीन को शह और मात आओ करें कुछ दिल की बात--- मीना जैन

विचार गोष्ठी
साहित्यकुंज पटल पर
विषय --- 
"कैसे दें चीन को शह और मात आओ करें कुछ दिल की बात"

एक अलग शख्सियत है हमारी।
हर किसी को हमारे अंदाज कहाँ भाते हैं ।
हर बार टकराकर गिरते हैं ओंधे मुँह मगर। 
मेरे दुश्मन अपनी हरकतों से बाज कहाँ आते है ।
किसी देश की महत्वाकांक्षा जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है और जहाँ आध्यत्मिकता का माहौल नहीं होता है ,जो अति आत्मविश्वास का मारा होता है वह देश है चीन।हमारा देश तो "जिओ और जीने दो" का पक्षधर है।
चीन देश युद्ध का माहौल क्यों बना रहा हैं? लद्दाख में फौज इकट्ठी क्यों कर रहे हैं ?वह भारत से क्या चाहता हैं ?भारत इन सब का कैसे जवाब दें ?

इसके जवाब के लिए करीब 20 साल पीछे चले और देखें कि भारत पाकिस्तान से कैसे निपट रहा  था। याद करें कि भारत ने किस रणनीतिक दांव की खोज की थी। जिसे "बल प्रयोग की कूटनीति" कहा गया था। हमारे देश की इस चाल से दोनों देशों के बीच कई वर्षों तक अमन -चैन रहा।हमने इस नीति से सीखा कि कभी भी पीछे मत हटो ,डटे रहो। विवेक का साथ मत छोड़ो ।पर्दे के पीछे खुले दिमाग से बातचीत जारी रखो ।कभी भी जल्दबाजी में पीछे मत  हटो तथा जल्दबाजी में निर्णय मत लो ।दूसरे पक्ष के इरादों को समझने में पूरा वक्त लो। यह फैसला करो कि क्या उपयुक्त जवाबी कार्रवाई हो सकती है ।लेकिन दबाव में कुछ भी कबूल मत करो ।लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहो ।अगर यह लगता है कि चीन बल प्रयोग का खेल, खेल रहा है और उसकी अपेक्षाएं अवास्तविक है तो  उसे वहाँ जमे रहने दो और हम बार्डर  पर जमें रहे। उसे थका डालो।
थका हुआ व्यक्ति या देश ज्यादा नहीं सोचता हैं।
चीन को हम मात दे सकते हैं कि स्वदेशी पर बल दें ।  महात्मा गांधी ने कहा था कि हमें विदेशी वस्तुओं से मुक्त होने की जरुरत है लेकिन ऐसा तब होगा तब होगा जब अपनी चीजें हम स्वयं बनायें। व्यापार एकाएक खत्म नहीं किया जा सकता है।उसके भी कुछ नियम होते हैं। हमें आत्मनिर्भर बनना होगा। चीन की कमर  चीनी सामान का बहिष्कार करके तोड़ सकते हैं। इसके लिए बुनियादी स्तर पर उद्योग धंधे विकसित करना होगा। स्वदेशी पर बल देना होगा।यदि स्वदेशी पर बल देंगे तो भारत चीन से निश्चित आगे है और आगे बढ़ सकता है । चीनी सॉफ्टवेयर और मोबाइल अब न खरीदें।अभी हमारी सरकार ने बहुत से चीनी एप बैन किये हैं ,यह स्वागत योग्य कदम है। 
भारत हिंद महासागर में चीन की मुश्किल बढ़ा सकता है ।भारत चाहे तो हिंद महासागर में चीन को बड़ी मुश्किल में डाल सकता है।
चीन समुद्री मार्ग से तेल आयात करता है साथ ही जरूरत का 50% खाद पदार्थ इसी मार्ग से आता है ।यह भारत के लिए अप्रत्याशित मौका है कि वह सोची समझी रणनीति के तहत यह खेल ,खेल सकता है।

 चीन की ताकत कम है भारत में उसकी ताकत का प्रचार ज्यादा है।वह केवल धौंस दिखाना जानता है। वह न सुपर पावर है और न कभी बन सकता है।अतः मीडिया को चाहिए कि उसका गुणगान करना कम करें।उसकी महिमा बताकर हम चीन का आत्मविश्वास बढ़ा देते हैं। चीन को जरूरत से ज्यादा भाव देने की जरूरत नहीं है।

अगर तुम भाव दोगें तो।
सामने वाला भाव खायेगा।
अगर भाव देना छोड़ दो तो।
 वह अपनी औकात में आयेगा।

 अर्थव्यवस्था का खोखलापन चीन की कंपनियों का उधार भी देश की जीडीपी का दोगुना है।चीन के पास 3 लाख करोड़ का फॉरेक्स रिजर्व है।उसने इसका हिस्सा भी खर्च किया तो उसकी अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी। 

नेपाल में ओली सरकार को अस्थिर किया जाए।इसमें अंदरुनी सहयोग भारत करें तो हम बाजी अपने पक्ष में कर सकते हैं। इन सबके बाबजूद भी यदि चीन से युद्ध होता है तो भारत का प्रत्येक नागरिक भारत का  तिरंगा ऊँचा रखेगा।
 जय हिंद वन्दे मातरं
     🙏मीना जैन भोपाल🙏

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.