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चीन का बहिष्कार ..सीमा गर्ग मंजरी...

कैसे दे चीन को शह और मात
आओ करें कुछ दिल की बात

" स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग,
सुख शांति का दृढ़ आधार है !
आओ संकल्प करें, धोखेबाज ,
 चीन को सबक सिखाये मिलकर !!"

आज के परिवेश में आत्मनिर्भर होना हमारे देश की प्रगति में अत्यन्त सहायक होगा । 
जिससे देश की अर्थव्यवस्था में सुधार तो होगा ही और अन्य राजनीतिक कूटनीतिक समस्याओं का भी समाधान होगा ।
साथ ही उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली नीति का अनुसरण करने वाले, कुटिल चाल चलने वाले चीन को भी शह और मात दी जा सकती है ।

आज स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ अभियान का महत्व देश को उन्नति के शिखर पर पहुँचाने के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण कड़ी है ।
विदेशी वस्तुओं पर निर्भर रहने के कारण हमारे देश का अपना पैसा विदेशों में चला जाता है ।
विदेशी वस्तुओं का उपयोग करने से हमारे देश की उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है । जिसके कारण उत्पादन गति धीमी हो जाती है ।
इसी कारण हमारे श्रमिक कामगार मजदूर बंधुओं को रोजगार नहीं मिल पाता है । 
हमारा देश स्वतन्त्र और विकसित है किंतु दूसरे देशों की वस्तुओं पर आश्रित रहने के कारण वे अन्य देश अमीर होते जाते हैं, और हमारे देश की अधिसंख्य जनता गरीबी की रेखा से ऊपर नहीं उठ पाती । 
जरा सोचिये कि छोटी-मोटी वस्तुओं के लिए भी हम विदेशी वस्तुओं पर आश्रित क्यों रहें ??
अब समय आ गया है कि हम समाज में सचेत और जागरूक नागरिक बनें ।अपने देश को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आत्मनिर्भर एवं विकासशील बनाने में संकल्पित हो जायें । 
हम जिन वस्तुओं का आयात करते हैं उनका उत्पादन करके हमें उन वस्तुओं का निर्यात करना चाहिए । 
क्योंकि जो देश अधिसंख्य स्तर पर स्वदेशी वस्तुओं पर निर्भर होता है । वह देश उतना ही अधिक विकसित होता है ।

मार्च के दूसरे हफ्ते में मैं अपने पौत्र के साथ बाजार में गिफ्ट गैलरी में गई थी । उस दुकान पर मैने देशी वस्तुओं के स्थान पर विदेशी चीनी वस्तुओं का आधिपत्य देखा था । चीन की अनेक वस्तुओं से बाजार पटा पड़ा था ।जैसे कि दोनों हाथों को ऊपर उठाये लाफिंग बुद्धा एक दूसरा सिक्कों की पोटली उठाये हंसता हुआ बुद्धा विंड चाइम के अनेक रंग और डिजायन बहुरंगी संकेतक घटिया पारदर्शी कछुए तीन टांग का मेंढक बहुत प्रकार के रिबन में बंधे हुए सिक्के बच्चों के खेल खिलौने रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाली वस्तुयें और भी ना जाने क्या क्या ।
उस वक्त लोग बड़े चाव से ये बुद्धा जैसी वस्तुयें खरीद रहे थे । वहाँ गैलरी में खरीदारी करने वाले लोगों के मन में धारणा थी कि यह वस्तुयें घर परिवार के लिए मंगलदायी होती है । 
घर लौटते समय मैं सोच रही थी कि उस गैलरी में हमारे देश में उत्पादित गिनी चुनी वस्तुयें ही थीं जबकि चीन अमेरिका जापान इटली जैसे विदेशी देशों के इत्तर शुभकामनाएं संदेश विदेशी प्लास्टिक के फूल आदि बहुतायत में थे ।
अब कोरोना विषाणु के कारण बीते इन तीन महीनों में विदेशी वस्तुओं के प्रति हम भारतीयों की मानसिकता में पुरजोर बदलाव दिख रहा है । 
चीन पाकिस्तान जैसे दोगले कुत्सित छद्म सोच वाले देश कभी भी भरोसे लायक नहीं हो सकते । 
गलवन घाटी में चीन ने अपने वादे को तोड कर आक्रमण करके  पूरी दुनिया को यही संदेश दिया है कि छल कपट और झूठ बोलने से वह बाज नहीं आयेगा । कोरोना संकट का सामना कर रहे सम्पूर्ण विश्व का ध्यान अपनी गलती से हटाकर अब चीन भारत के खिलाफ़ बेशर्मी और गुंडागर्दी पर उतर आया है । साथ वह गीदडभभकी से हम भारतीयों को आंखें भी दिखा रहा है ।
ऐसे संकट काल के समय समस्त भारतीय देशवासियों को यह संकल्प अवश्य ही करना चाहिए कि हम सभी भारत में बनी हुई वस्तुओं को ही खरीदेंगे और स्वदेशी का  प्रयोग करने के लिए दूसरों को प्रेरित करेंगे ।
तब वस्तुओं की मांग बढ़ने से उसकी आपूर्ति करने के लिए अधिक उत्पादन की आवश्यकता होगी ।
जिसके कारण श्रमिक बंधुओं को रोजगार के अनेक अधिक अवसर प्रदान होंगे । नवीन उद्योग धन्धे बढेंगे । अधिक मात्रा में उत्पादन भी बढेगा । 
स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग से अपने देश का पैसा अपने ही देश मे रहेगा ।जिसके कारण देश में खुशहाली बढेगी ।देश में आत्मनिर्भरता के गुण अपनाने से मानव जीवन के दुश्मन अवसाद जैसे दुर्गुण जीवन से दूर होंगे । जनमन को स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होगा । और स्वदेशी वस्तुओं के अधिकाधिक प्रयोग करन से चहुँओर आर्थिक उन्नति भी बढेगी । 
हमारा अपना पैसा हमारे अपने देश के विकास और प्रगति मे सहायक होगा । 

मेरी एक सहेली कल मुझसे कह रही थी कि बहन चीन का सामान सस्ता और अच्छा होता है ।
तब मैने उसे कहा कि दिखावे पर मत जाओ ,
अपनी अक्ल लगाओ ।
मान लो कि ...
 यदि तुम्हें पडोसी का बच्चा बहुत अच्छा लगता है,  किंतु तब भी जब पैसा देना होता है तो तुम अपने बच्चें को ही पैसा देती हो । पडोसी के बच्चे को पैसे नहीं देती।
सचमुच , मेरी सहेली मेरी इस बात की कायल हो गयी। और फिर मेरे सामने ही  स्वदेशी वस्तुओं का संकल्प ले अपने घर को चली गई । 

✍ सीमा गर्ग मंजरी
 मेरी स्वरचित रचना
 मेरठ
सर्वाधिकार सुरक्षित @

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2 Comments
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बहुत बढ़िया सीमा जी
kirti dubey said…
बहुत बढिय़ा