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मुंशी प्रेमचंद महोत्सव, कथा,एक था राजा,दिव्य रश्मि



 ,(दहेज़ और गरीबी के कारण हो रहे बेमेल विवाह पर आधारित मेरी रचना....)
शीर्षक-एक था राजा.....

"एक था राजा" ...."ओह्हो भइया! तभी से पांच बार कह चुके हो एक था राजा, अब आगे भी तो बढ़ो-
मधुर के बार बार एक ही वाक्य दोहराने से उकताकर रोहन ने कहा । मधुर, जो की अपने छोटे- छोटे भाई बहनों को बिठा कर कहानी सुना रहा था,उसने कहा-पक्का कहानी  सुना  ही दूँ?--"हाँ"- सभी बच्चों ने व्यग्र होकर एक स्वर में कहा ।
तो ठीक है।सब शांत होकर ध्यान से सुनो-
एक था राजा,बहुत शक्तिशाली,दयावान और बहुत सुंदर ।उसके पास ढेर सारे रूपये थे  और हीरे जवाहरात सोना चांदी के  भंडार थे।
उसके पास हाथी और हजारों घोड़े भी थे।
'मेले घोले जैेसे '...मॉन्टी ने अपनी तोतली जबान में पूछा । तुम्हारे पास तो खिलौने वाले घोड़े है,राजा के पास ऐसे घोड़े थोड़ी न होते है बुधु!चुपचाप कहानी सुन और हमें भी सुनने दे ।हाँ मधुर भैया आगे बोलो--मॉन्टी के सवाल पर उसकी बड़ी बहन ने पीहू ने जवाब दिया।
मधुर ने फिर कहानी आगे बढ़ाई, हाँ तो राजा बहुत अच्छा और धनवान था।उस राजा के दो छोटे छोटे और एक बड़ा राजकुमार था मगर उसकी पत्नी अपने सबसे छोटे राजकुमार को दुधमुहा छोड़ कर ही चल बसी थी।
इसलिए कई लोग राजा के पास अपनी बेटी का रिश्ता लेकर आया करते थे।राजा सोच समझकर विवाह करना चाहते थे क्यूंकि वह अपने राजकुमारों को बहुत प्यार करते थे ।
एक दिन बड़ा राजकुमार जो की उम्र में भी बड़ा था,अपने दोस्तों के साथ शिकार पर गया।जाते जाते जंगल में वह अपने दोस्तों से बिछड़ कर भटक गया।राजकुमार को बड़ी जोरो की भूख और प्यास लगी थी और वह थक भी गया था। चलते चलते वह एक गाँव में पंहुचा  और एक घर के बाहर आवाज लगाने लगा। घर के अंदर से एक लड़की निकली बिल्कुल राजकुमारियों की तरह।उसे देखते ही राजकुमार उस पर मोहित हो गया।लड़की के पिता ने राजकुमार की सब प्रकार से खातिरदारी की  और  उसे पुनः महल तक पहुँचाने का भी प्रबंध कर दिया। राजकुमार महल लौट आया ,मगर वह लड़की हमेशा उसके ध्यान में रहती थी ।राजकुमार ने यह निश्चय किया कि वह सही समय देख कर अपने पिता से उस लड़की के साथ अपने विवाह की बात करेगा।
             राजकुमार उदास रहने लगा। उसका मन किसी काम में नहीं लगता । राजा ने राजकुमार को यूँ उदास देख उससे उसकी उदासी का कारण पूछा ,पर राजकुमार ने बहाना बना दिया । कोई उपाय न देख कर राजा ने राजकुमार को मन बहलाने के लिए  ननिहाल भेज दिया ।
          इधर राजा ने छोटे राजकुमारों की देखभाल के लिए स्भी के कहने पर एक गरीब लड़की से विवाह कर लिया। बड़ा राजकुमार लौट आया मगर उसने जैसे ही अपनी नई माता के स्थान पर उस गांव की लड़की को देखा ,उसकी सारी कल्पनाएं सारे सपने बिखर गए।
                     कहानी सुनते सुनते बच्चे सो चुके थे । मधुर ने अपनी आँखें उठा कर देखा कहानी के बीच में आई अपनी और बाकि बच्चों  की माँ  की तरफ ।उनकी आँखों में भी आँसू थे और मधुर की आँखे भी सफल थी ।
 नाम-दिव्य रश्मि
पता-ग्राम चंदौत 
पोस्ट -चंदौत डोंगरा
अम्बा औंरंगाबाद बिहार।

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