लघु कथा -- चेहरे की खुशी
"आज तुम्हारा चेहरा उदास लग रहा है। बीमार हो गई क्या" मैंने अपने घर रोटी बनाने वाली ललिता से पूछा।
"नहीं दीदी, वो कल ग्यारस का उपवास था। कल से कुछ नहीं खाया और आज भी काम की जल्दी में सिर्फ चाय पीकर घर से निकल गई, इसलिए कमजोरी सी लग रही है" ललिता ने कहा।
मैंने तुरंत उसके हाथ से बेलन लिया, एक प्लेट में खाना लगाया और गरम-गरम रोटियां सेक कर उसे खाना खिलाया।
ललिता के चेहरे की खुशी के सामने अपनी बिटिया की शादी में हजारों लोगों को खाना खिलाने की खुशी भी फीकी की लग रही थी।
डॉ. चित्रा जैन, उज्जैन, मध्य प्रदेश
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