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आओ विचारें, चीन को कैसे, दें शह और मात-- श्रीमती पूनम गुप्ता




सीमा पर सैनिकों को मारा,
 लगा-लगाकर घात,, 
आओ विचारें, चीन को कैसे,
 दें शह और मात??? 
   भारत और चीन के बीच सीमा विवाद बहुत पुराना है। इसी के चलते 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ। लेकिन उस समय भारत के हालात कुछ अच्छे नहीं थे।  परंतुआज उस समय की तुलना में भारत बहुत मजबूत हो चुका है। चीन ने दोस्ती के नाम पर हमेशा ही भारत को धोखा दिया है। ताजा मामला गलवान घाटी का है - 15 जून को हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिक सीमा पर भेंट चढ़ा दिए। इससे एक बार पुनः भारत और चीन के बीच में टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। जिसका असर व्यापारिक रिश्ते पर भी पड़ा है....खासतौर से अब जबकि चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है; दोनों देशों के आर्थिक परिदृश्य और मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर मैं यही कहूंगी कि, भारत को हर हालत में अपनी निर्भरता चीन के ऊपर कम करने का प्रयास करना ही होगा। इसके लिए हमें अनेकानेक उपायों को अपनाना पड़ेगा। 
         आज काफी वस्तुओं के मामले में भारत चीन के आयातित माल पर निर्भर है। भारतीय बाजारों में उसका सस्ता माल भरा पड़ा है। देश में कई बड़े प्रोजेक्ट चीनी कंपनियों के द्वारा चलाए जा रहे हैं। ऐसे में भारत के सामने यह चुनौती विकराल मुख खोले खड़ी है, कि 'क्या भारत देश चीन पर निर्भरता समाप्त कर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ पाएगा; या नहीं।' 
  वर्तमान में भारतीय उपभोक्ता और बाजार चीन के उत्पादों से घिरा हुआ है अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि भारत हर साल चीन से करीब 75 अरब डॉलर के उत्पाद आयात करता है। इसका सबसे बड़ा कारण है सस्ते दामों पर गुणवत्ता युक्त उत्पाद। 
       ऐसे में हिंदुस्तानी कंपनियां चीन के उत्पादों का कैसे एक बेहतर विकल्प ला सकती है? यह प्रश्न आज का ज्वलंत मुद्दा है। 
        इसके लिए भारतीय उद्यमियों को सरकार द्वारा समस्त सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए — वह चाहे बिजली की लागत हो या फिर कोई टैक्स।
 क्योंकि भारतीय उद्यमी स्वयं ही सारी सुविधाएं अपने उद्योगों के लिए जुटाते हैं। जिससे इंडस्ट्री मैं उत्पादित वस्तुओं का लागत मूल्य बढ़ जाता है और भारतीय उत्पाद स्पर्धा के लायक नहीं रह जाते हैं। इन स्थितियों में भारतीय उत्पाद और चीनी उत्पाद के बीच होने वाली स्पर्धा भारतीय कंपनी को बीमार हालत में पहुंचा देती है। मेरा मानना है कि सरकार को इंडस्ट्री के लिए सस्ती बिजली, सबसे कम टैक्स और सबसे कम कीमत पर अन्य जरूरी साधन मुहैया कराए जाने चाहिए। ताकि भारतीय उद्योग जगत दुनिया में मुकाबला कर सके और आगे बढ़ सके। 
     यह बिल्कुल सही वक्त है जब हम चीन पर अपनी निर्भरता कम कर सकते हैं। इससे भारत की आर्थिक क्षमता मजबूत होगी। वर्तमान स्थिति में हमारा देश इतना सशक्त है कि वह आर्थिक एवं कूटनीतिक स्तर पर चीन को झटका देकर सैन्य मोर्चे पर भी उस को मुंहतोड़ जवाब दे सकता है। चीन और पाक की सीमा पर तैनात जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री सरहद पर जाकर जवानों में हौसला भरते रहे हैं। ऐसे में भारत सरकार को अपने देश के उद्यमियों का भी हर तरीके से, हर स्तर पर साथ देना होगा; जिससे कि स्वदेशी उद्यम फले फूले और रोजगार का अवसर भी बढ़े।
        भारत में चीन के कारोबारी स्तर की कमर तोड़ने के लिए एक देश व्यापी आंदोलन चलाने की महती आवश्यकता है। इसके लिए घर-घर जाकर लोगों से चीनी सामान का बहिष्कार करने की अपील की जाए। देश में स्वतंत्रता संग्राम की भांति एक बार पुनः स्वदेशी सामान अपनाने का आंदोलन पुरजोर किया जाए। इससे चीनी अर्थव्यवस्था गड़बड़ा जाएगी और हमारा देश आर्थिक स्तर पर पूर्णरूपेण स्वाबलंबी हो पाएगा। 
जय हिंद! जय भारत!

 लिखित द्वारा -
 श्रीमती पूनम गुप्ता 
स. अ. 
प्रा. वि. धनीपुर
 जनपद अलीगढ़

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