अब तुम मुझसे सवाल करते क्यू नहीं,
मेरे लिए शहर में बवाल करते क्यू नहीं।
दिल में कोई और है, तो वो भी बता दो,
अब हर बात पर तुम, मुझसे लड़ते क्यू नही।
तुम्हे देखकर ही तो, मै हर रोज जीती हूं।
किसी और के साथ देखकर, जलते क्यू नही।
तुम्हारे चेहरे की उदासी, खाए जाती हैं मुझे,
घर पहुंच कर फोन कर लेना, अब कहते क्यू नही।
हमेशा तुम्हारे साथ चलूंगा, ये तुमने ही कहा था
जब चलने की बारी आई, तो चलते क्यू नही।
इस अनजान शहर में, कोई और नहीं है मेरा
मै प्यार करती हूं तुम्हे, ये बात समझते क्यू नही।
तुम तो खुद को बहुत बड़े शायर कहते हो ना,
मै शायरी हूं तुम्हारी, अब मुझे लिखते क्यू नही।
- अवनीश पाण्डेय ,इलाहाबाद विश्वविद्यालय,* *प्रयागराज*
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