कविता
बापू तेरे देश में
बापू तेरे इस देश में,
सत्य अहिंसा सब हुये बेकार,
झूठ का सम्राज्य यहाँ पर,
हो रहा नित्य लूट व मार।
बापू तेरे................।
तेरे बन्दर अब बिगड़ गये,
कर रहे नित्य घोटाला भ्रष्टाचार,
भूल गये तेरे जीवन आदर्श,
कर रहे नित्य दुराचार।
बापू तेरे................।
तेरे बन्दर नित्य बुरा देख रहे,
बोल रहे नित्य बुरा बात विचार,
तेरे बन्दर बहुत बुरा कर रहे,
भूल गये तेरे शिष्ट आचार ।
बापू तेरे..................।
तुने जिसको अपना नाम दिया,
वो निकले देश के गद्दार,
युद्ध समय दुश्मन देश से मिलते,
करते देश की इज्जत तार तार।
बापू तेरे ................।
कभी देश को आँख मारते,
कभी करते देश से दुर्व्यवहार,
भूल गये वे देश की सेवा,
भूल गये जन जन का प्यार।
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अरविन्द अकेला