राम रहीम
उनके गुनाहों की सजा, हम ही भुगतते हैं।
बेख़ौफ़ हैं वे, कटघरे में हम ही रहते हैं।।
दिल से खेलते हैं, दर्द की खेती करते हैं ।
उपहारों का रिश्वत दे, जख्म बेचा करते हैं ।।
गरुआ वस्त्र लम्बी डाढी, उच्चारण राम नाम का ।
राम रहीम खुद बने, बेटा सांई राम रखते हैं ।।
टट्टू पाल रखे सैकड़ों, पैनी नजर रखते हैं।
रातें रंगीन होती इनकी, सुबह ब्रह्मचारी दिखते हैं ।।
है कौन जो उंगली उठाए, सम्मान सब करते हैं।
मानवता को रौंदने वाले ,भगवान बने फिरते हैं ।।
@सुषमा सिंह