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मुंशी प्रेमचंद महोत्सव, लघुकथा, सोचो समझो फिर करो,लीना थावानी


हां तो बच्चों बताओ जब हम मार्केट में अपने मम्मी पापा के साथ शॉपिंग करने के लिए जाते हैं जैसे हमें नए कपड़े खरीदने हैं तो हमें तो सिर्फ उसका कलर देखना होता है कि अरे यह बहुत अच्छा है मम्मा मुझे यह ले दीजिए ।पर हमारे मम्मी पापा हमारे कपड़ों के चुनावों में बहुत सावधानी रखते हैं कि कपड़ा कैसा है ?और उसका रंग जल्दी जाएगा तो नहीं। कपड़ा हमारे बच्चोंके  लिये  कंफर्टेबल है कि नहीं? साइज में बच्चों को आ रहा है कि नहीं ?।और रोजमर्रा के कामों में भी हम लोगों को कितनी सारी चीजों के लिए चुनाव करने पड़ते हैं ।सवेरे से ही चुनाव अगर मम्मी को सब्जी बनानी है तो सब्जी मंडी से भी अच्छी अच्छी सब्जियों को चुन चुन कर लाती हैं क्योंकि अगर चुनाव सही होगा ढंग से देखेंगे देख कर लेंगे तो चीज अच्छी मिलेगी।

 अच्छा बच्चों जैसे हम खेल खेलते हैं तो कई बार बच्चे बारी के चुनाव के लिए अक्कड़ बक्कड़ बंबे बो अस्सी नब्बे पूरे सौ करके ही चुनाव कर लेते हैं। लेकिन असल जिंदगी में सोच समझकर ही चुनाव करना चाहिए क्योंकि

कुछ भी करते समय अगर सोचेंगे समझेंगे करेंगे विचार लेगा सही रास्ता और खुशियां अपार

 कहा जाता है कि राइट सिलेक्शन ही हमें राइट डायरेक्शन की ओर ले जाता है यानी कि सही चुनाव तो सही दिशा।.....

              सोचो समझो फिर करो चुनाव।

Story...

     इसे समझने के लिए हम उत्कृष्ट मिलते हैं उत्कर्ष अपनी मम्मी के साथ मार्केट गया। स्कूल खुलने वाले थे उत्कर्ष को अपने स्कूल के लिए नया बैग चाहिए था ।मार्केट में बहुत भीड़ थी क्योंकि स्कूल खोलने वाले थे तो सभी बच्चे अपने मम्मी-पापा के साथ मार्केट आए थे। कोई टिफिन लेने आया था तो कोई कपड़े लेने आया था ।तो कोई बैग ने आया था ।सभी बच्चे अपनी अपनी जरूरतों के हिसाब से चीजों का चुनाव कर रहे थे ।सारे दुकानदारों के पास रंग-बिरंगे  बैग भी टंगे हुए थे ।उत्कर्ष मम्मी को हर दुकान की ओर दिखाते हुए कहता  मम्मी चलो यह देखो यहां पर बहुत अच्छा बैग लगा है। मुझे यही बैग ले  कर दो मम्मी प्लीज मुझे बैग लेकर दो। मम्मी कहती नहीं बेटा हम एक दुकानदार को जानते हैं वह हर बार हमें अच्छा बैग दिखाते हैं । हम वहीं से बैग लेंगे ऐसा सुनकर उत्कर्ष चुपचाप चलने लगा ।आख़िरकार मम्मी उत्कर्ष को एक पहचान वाले भैया की शॉप पर लेकर आई जहां पर बहुत भीड़ थी ।वहां पर बहुत सुंदर सुंदर बैग  थे उत्कर्ष सोच रहा था वाओ- मम्मी यह तो  सच में बहुत अच्छी शॉप पर लेकर आई है ।अब दोनों मम्मी और उत्कर्ष  बैग देखने लगे उत्कर्ष ऊपर से ही देख रहा था उसका चुनाव कर रहा था लेकिन मम्मी तो बैग  खोल कर देखती चेन खोल कर देख रही थी कि अंदर कितनी जगह है उत्कर्ष की सारी कॉपी किताबें आएंगी या नहीं ।और बेल्ट  कितनी मजबूत है कहीं कुछ दिन में टूट तो नहीं जाएगी। यह सब देखकर  ही उत्कर्ष के लिए बैग सेलेक्ट करना चाहती थी ।इतने में उत्कर्ष  स्पाइडर-मैन वाला बैग उठाया और मम्मी से बोला मम्मी मुझे यही बैग चाहिए। मम्मी ने बैग  उठा लिया और देखने  लगी मम्मी ने कहा उत्कर्ष बहुत सुंदर है। लेकिन इसमें तो एक ही चैन है आप अपना टिफिन बॉक्स और पेंसिल बॉक्स कहां रखोगे? इसके लिए तो अलग से जगह नहीं है आपको बैग जमाने में दिक्कत होगी। फिर उसने दूसरा बैग  लिया जिसमें बहुत सारी चैन  मम्मी को बोला देखो मम्मी इतनी सारी चैन लगी हुई है मुझे यह वाला बैग ले कर दीजिए।   कितने सारे पॉकेट है ।मम्मी ने कहा हां बैग में  जेब तो बहुत सारी है पॉकेट तो बहुत सारे हैं पर गौर से बैग  देखो उत्कर्ष इसके बेल्ट कितने पतले हैं जब आप अपने कंधो पर टांगेगे तो आपको बेल्ट चुभेगे और वजन ज्यादा होने के कारण यह जल्दी फट भी सकता है ।आपको ऐसा बैग देखो जिसके बेल्ट भी थोड़े मजबूत और आरामदायक हो। मम्मी की बात सुनकर उत्कर्ष ने सोचा एक बैग खरीदने में इतना सारा देखना पड़ता है इतनी बातें सोचने पड़ती है। यह सब तो मैंने कभी सोचा ही नहीं था ।अब उत्कर्ष ने सारी बातों को ध्यान में रखकर बैग देखना शुरू किया आखिर कार मम्मी की मदद से उसने अपना बैग चुन लिया। यह बैग बहुत सुंदर था मम्मी जिस दुकान पर लेकर आई थी वह बहुत पुरानी दुकान थी मम्मी का उस दुकान पर विश्वास था। और वह बैग भी सही दाम पर मिल गया तो देखा बच्चों एक अच्छे बैग के लिए पहले सही दुकान का चुनाव करना पड़ा  कि हमें सामान कहां से लेना है। फिर उस चीज का चुनाव करना पड़ा जो सही हो आपने देखा बच्चों एक छोटे से स्कूल के बैग को खरीदने के लिए उत्कर्ष की मम्मी ने कितना सोचा। आखिर  उन्होंने सही चुनाव किया ताकि  उत्कर्ष को कोई प्रॉब्लम नहीं हो ।

 बच्चों इसी तरह हमारा जीवन भी है। हमें कई बार कई चीजों में सिलेक्शन करने होते हैं।  पर सोचने वाली बात यह है कि क्या हम कोई भी चुनाव यानी किसी भी चीज को सोच समझकर चुनते हैं।

      कुछ भी चुनते समय यदि सोचेंगे समझेंगे करेंगे  विचार।

 मिलेगा सही रास्ता और मिलेंगी खुशियां अपार ।

          हमें हमेशा सोच समझकर विचार करके ही चुनाव करना चाहिए ताकि हमने जो भी चुना हो वह वो एकदम सही हो।

                               🙏  धन्यवाद  🙏

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