बुद्ध तुम फ़िर आ जाओ,!
राह कोई दिखला जाओ,!!
हमारे अन्दर का अल्प ग्यान,!
ले चुका है अब विराम,!!
बीच भंवर में है नैया हमार,!
आकर के पार लगा जाओ,!
बुद्ध तुम फ़िर आ जाओ,!
राह कोई दिखला जाओ,!!
आपके आदर्शो का सिलसिला,!
हर वक्त हमे कुछ नया लगा,!!
जिससे हो हम सबका उद्धार
आके कर दो ऐसा उपकार,!!
हमारे सोये हुए मष्तिश्क को,!
एक बार फ़िर से जगा जाओ,!!
बुद्ध तुम फ़िर आ जाओ,!
राह कोई दिखला जाओ,!!
@*मंगल सिंह नायक,!*
*कानपुर देहात,उत्तर प्रदेश,!!*