संत शिरोमणि तुलसी दास
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यह काल का कुचक्र था
या कोई धोखा हुआ ।
जन्मते ही राम बोला
वह कैसे अशुभ भला।
गीत राघव राग तुलसी,
जन जन के आवाज तुलसी।
प्रेम विह्वल भक्त शिरोमणि ,
करूणा के अवतार तुलसी ।
शब्द - शब्द से गंगा बहाए,
राम को पुरूषोत्तम बनाए।
वशिष्ठ बाल्मिकी की श्रेणी में,
स्वत: जगह बनाए तुलसी ।
राममय रामरंग में रंगे,
साहित्य जगत के सूर्य तुलसी।
वीणापाणि के वरदपुत्र,
हनुमत के प्यारे ।
शब्द निर्झरणी से झरते थे,
जिनकी लेखनी से न्यारे ।
रामचरित मानस के रचयिता,
अंधियारे में दीपक जैसा ।
रामरस में आकण्ठ डूबे,
हुलसी के लाल तुलसी ।
सुषमा सिंह