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जब साहब पीते हैं /अजीत कुमार सिंह

जब साहब पीते हैं शराब

मदिरा पीकर छोटे-बड़े बनते एक समान
आपसी संबंधों का भेद भूलकर करते नहीं सम्मान
करते हैं सिर्फ मनमानी 
होती हैं परिजनों को परेशानी
करते हैं घर की शांति ख़राब
जब पीते हैं साहब शराब

करते हैं आने वाले पीढ़ी का भविष्य ख़राब
लेकिन फर्क कहां पड़ता हैं इन्हें जनाब 
परिवार करते हैं दरवाजे पर इंतेज़ार
चुपके से आकर आ बैठते हैं घर पर जनाब
रहते हैं अपने आप में मस्त
नहीं है इन्हें किसी से लस्ट
जब साहब पीते हैं शराब

घर वालों का रोना रहता
इनकी कोई बात नहीं सुनता
जब साहब से पूछा जाता
नये बखेड़ा खड़ा हो जाता
इस पर क्या करें परिवार
जब साहब पीते हैं शराब

अजीत कुमार सिंह
उत्क्रमित मध्य विद्यालय चौरिया
मयूरहंड,चतरा
9471365459

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