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गजल, अरविंद अकेला

 गजल 

अरविंद अकेला

जबसे वे मेरे शहर में आने लगे हैं,

मन हीं मन वे मुझे भाने लगें हैं।


मेरे चेहरे पर आने लगी रौनक,

ये मेरे आईने भी बताने लगे हैं।


क्या होती है दिवानगी व  प्यार,

अब सब समझ में आने लगे हैं।


मिल गया सपनों का राजकुमार,

यह चर्चा अब हर गली छाने लगे हैं ।


कब होगी मेरी विदाई बाबुल घर से,

मेरी मेंहदी के रंग सब बताने लगे हैं।

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         अरविन्द अकेला

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