Type Here to Get Search Results !

बेटी है तो कल है, अरविंद अकेला

कविता 
           
            बेटी
          ---------
बेटी है तो कल है,
बेटी है तो संसार,
बेटी बिन जीन्दगी,
है बहुत बेकार।

बेटी बिन घर नहीं,
नहीं कोई परिवार,
बेटी जीवन का रंग,
बेटी बिन फीका संसार।

किसे कहेंगे माँ बहना,
बेटियाँ जब घर में हो ना,
बेटी से ही घर की रानी,
बेटी है सृष्टि का आधार।

बेटी है घर की चिडियाँ,
बेटी से है घर गुलजार,
बेटी से घर की खुशियाँ,
बेटी से जहाँ में प्यार।
        ----0---
          अरविन्द अकेला

Post a Comment

1 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
ARVIND AKELA said…
वाह,बहुत सुन्दर रचना।