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जनेश्वर विकास केंद्र "मतदान में बुद्धिजीवियों की उदासीनता : कारण और निवारण" विषयक संगोष्ठी_aurangabad sahitykunj

जनेश्वर विकास केंद्र के तत्वावधान आज अधिवक्ता संघ भवन में स्थानीय बुद्धिजीवियों और  साहित्य सेवियों की "मतदान में बुद्धिजीवियों की उदासीनता : कारण और निवारण" विषयक संगोष्ठी आयोजित की गई ।गोष्ठी की अध्यक्षता प्रो.रामाधार सिंह तथा इसका संचालन संस्था के सचिव वरीय अधिवक्ता सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने किया ।गोष्टी का श्रीगणेश करते हुए श्री विद्यार्थी ने आज के इस सामयिक विषय की उपादेयता को बताते हुए इस पर गहन विचार मंथन की जरूरत को रेखांकित किया ।अपनी बातों को रखते हुए डॉ.संजीव रंजन ने कहा कि निश्चय ही धर्म और जाति ने आज की राजनीति को संकीर्ण दायरे में ला खड़ा कर दिया है, तथापि अगर समाज के प्रबुद्ध जन ठान लें लोकतंत्र का एक नया बहान निश्चय ही हमें देखने को मिलेगा ।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र ने कहा  कि जहां तक मतदान के संदर्भ में बुद्धिजीवियों की उदासीनता का प्रश्न है ,निश्चय ही यह एक दुर्भाग्यपूर्ण हकीकत है ।सब कुछ जान समझ कर भी बुद्धिजीवी वर्ग आलस्य, अकर्मण्यता अथवा राजनीतिक सचेतनता के अभाव में मतदान से प्रायः  उदासीन बने रहते हैं। यह प्रवृत्ति अत्यंत ही दुखद है।
 कुछ इसी तरह की बातें  ज्योंतिर्विद श्री शिव नारायण सिंह  तथा सरपंच संघ के संरक्षक रविंद्र कुमार सिंह ने भी रखी और बताया कि तथाकथित संभ्रांत जन ना तो स्वयं लाइन में लगकर मतदान करना पसंद करते हैं, ना ही अपने यहां की महिलाओं को मतदान केंद्र तक जाने के लिए प्रोत्साहित ही कर पाते हैं ।यह जनतंत्र के लिए एक कमजोर कड़ी  बन जाती है ।कविवर मिथिलेश मधुकर  एवं महाराणा प्रताप सेवा संस्थान के सचिव अनिल कुमार सिंह ने कहा कि यह आज के युग की मांग है कि हमें अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक होना होगा अन्यथा जनतंत्र के महापर्व के एक  काले अध्याय के हम साक्षी बन जायेंगे।अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो.डॉ रामाधार सिंह ने कवि अजातशत्रु की पंक्ति"'यह गठबंधन की राजनीति है" को उद्धृत करते हुए vote शब्द का बड़ी खूबसूरत विश्लेषण किया और  इसे 'वैल्यूएवल  ओपिनियन टेस्टेड  इन इलेक्शन 'बताया। इस अवसर पर और जिन लोगों ने अपनी बातें रखीं, उनमें वरीय अधिवक्ता श्री नृपेश्वर नारायण सिंह ,समाजसेवी रामजी सिंह, धनंजय सिंह प्रभृत्ति  विद्वानों ने मतदान को अनिवार्य बनाने की वकालत की। और अंत में संस्था के सचिव सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने इस गोष्ठीमें सहभागिता निभाने के लिये आगत अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किए।

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