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मैं एक अखबार हूँजन जन की पुकार हूँखुद मे पूरा संसार हूँ प्रेमशंकर, प्रेमी

मैं एक अखबार हूँ

जन जन की पुकार हूँ
खुद मे पूरा संसार हूँ
हर तरह के समाचार का
मैं ही सूत्रधार हूँ 
                    मैं एक अखबार हूँ ।।1।।

हर समाज का विचार हूँ
हर वर्ग का मददगार हूँ
बूढ़े जवान बच्चों के
मनोरंजन का आधार हूँ
                        मैं एक अखबार हूँ ।।2।।

नेताओं के हर  झूठ  का
मैं सबसे बडा़ राजदार हूँ
भ्रष्टाचारियोंँ के राह में
हरपल  बनी दिवार हूँ
                      मैं एक अखबार हूँ ।।3।।

असहायों और निर्बलों का
मैं ही तो आवाज़ हूँ
जनतंत्र के हर शासकों का
रखता मैं बडा़ राज हूँ
                     मैं एक अखबार हूँ ।।4।।

अतिथियों के स्वागत को
हर घर मे पडा़ रहता हूँ
हर किसी के  लिए
मै बडा़ पहरेदार हूँ
                   मैं एक अखबार हूँ ।।5।।

जहाँ भी हो रहा है जो
सबकुछ  मैं देखता हूँ
हर लोग जिस पर कर सकें
मैं ही वो ऐतवार हूँ
                  मैं एक अखबार हूँ।।6।।

सरकार के अध्यादेश का
कानून और आदेश का
मै ही करता प्रचार हूँ
अशान्तियों के बीच मे
मैं शान्ति की ललकार हूँ
                   मैं  एक अखबार हूँ ।।7।।

वारिस हो या तुफान हो
चुनाव का परिणाम हो
छात्रों के परीक्षा का भी
जब कोई परिणाम हो
मैं सबका मददगार हूँ
                मैं एक अखबार हूँ ।।8।।

कवि--- प्रेम शंकर प्रेमी ( रियासत पवई )

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