1.
हरपल रौंदी जाती है
तेरी अभिलाषा का कोई
मान नहीं रख पाता है ।
तेरी कोमल काया का कोई
ध्यान नहीं रख पाता है ।।
अपने सुन्दर खुशबू से जिस
गुलशन को महकाती है।
द्रुम लता सी बल खाती जो
घर आँगन चहकाती है ।।
अपने सुन्दर रूप को पाकर
खुद से ही सकुचाती है ।
आज वही भूखे भेडियों से
हरपल रौंदी जाती है ।।
उपवन भी अब नहीं सुरक्षित
जहाँ बसेरा है उसका ।
गड़ी हुई हर आँखों में
हर नजर में डेरा है उसका ।।
दबकर रह जाती है चीखें
दूर कहीं विरानों मे ।
नीश्प्राण काया रहती है
पडी़ कहीं तहखानों मे ।।
कहीं गला घोंटी जाती है
कहीं जला दी जाती है ।
साक्ष्य छुपाने के खातिर
गर्दन भी उड़ा दी जाती है ।।
हृदय विदारक घटनाओं से
मुक्त होगा कबतक संसार।
तनभक्षी मानव से कैसे
बचेगी बाला विवश लाचार ।।
ताकत नहीं इस लेखनी में
जो बयां करे उन दर्दों का ।
छटपट करती मर जाती
सहकर हर जुल्म बेदर्दों का ।।
नारी जाति पर होते अत्याचार और वहशीपन से मर्माहत प्रेमशंकर प्रेमी की दिल को झकझोर देने वाली कविता
कवि--- प्रेम शंकर प्रेमी ( रियासत पवई )
2.
प्रश्न चिन्ह लग जाते हैं
नेक काम भी करें अगर तो
प्रश्न चिन्ह लग जाते हैं।
गलत जो करते बच जाते हैं,
सजा नेक ही पाते हैं।।
पक्षपात का देख रवैया
नैना नीर बहाते हैं।
धरम करम को भूल गए जो
दूजा रंग दिखाते हैं।।
रुंध गए हैं गला ,जुबां कुछ
कहने से कतराते हैं।
सेवा समर्पण की बातों को
पलभर मे बिसराते हैं।।
लेप लगा माखन मिश्री का
अपना काम बनाते हैं।
पड़े विपत्ति मे कोई तो
ठोकर मार भगाते हैं।।
गलत जो करते रोज यहां
पर्दा डाल छुपाते हैं।
निश्छल मनवाले गर्दन मे
फांस बना पहनाते हैं।।
काम निकल जाता गर अपना
घातक रूप दिखाते हैं।
जिसका है उपकार बहुत
उसपर ही दोष लगाते हैं।।
मेरा दर्द मेरी जुबां
कवि--- प्रेम शंकर प्रेमी ( रियासत पवई )
3.
राष्ट्रपिता कहला जाते
काश अगर हम पा जाते
वो चश्मा गांधी बाबा का ।
पूरा करते बचा अधूरा
सपना गांधी बाबा का ।।
दूर दृष्टि उनके जैसी
इस युग में हम पा जाते ।
सबक सीखा अन्यायियों को
हम पूरे जग में छा जाते ।।
पाकर उनकी लाठी ऐसा
करतब हम दिखला जाते ।
गोली और बंदूक भी डरकर
अपने मुंह की खा जाते ।।
मार्ग अहिंसा का अपनाकर
लाते ऐसी क्रांति हम ।
करते दूर समस्या सबकी
हरते मन की भ्रांति हम ।।
वस्त्र साधारण खादी का भी
खुद से रचते अपने हाभ ।
आत्मनिर्भर भारत का भी
सपना लेकर चलते साथ ।।
सत्य मार्ग पर चलकर हम
मुश्किल को दूर भगा जाते ।
देश की सेवा मे रहकर
सिने पर गोली खा जाते ।।
प्राणी मात्र से प्रेम जो करते
बापू भी कहला जाते ।
अपना हाथ है जगन्नाथ
यह भी सबको बतला जाते । ।
देशहित में प्राण गंवाकर
ख्याति किर्ती पा जाते ।
अमर हो जाते उनके जैसा
राष्ट्रपिता कहला जाते ।।
कवि ------- प्रेमशंकर प्रेमी ( रियासत पवई )
4.
शादी के बाद
दोस्त अनेकों थे मेरे जो
बिखर गए शादी के बाद
हद से ज्यादा थे उत्पाती
संवर गए शादी के बाद ।।1 ।।
पढ़ते थे जब साथ में हम
तो एक दूजे के पास रहे
पढ़ने लिखने बदतमीजी मे
सबके बीच हम खास रहे
भूल चुके हम बात पुरानी
बदल गए शादी के बाद
हद से ज्यादा थे उत्पाती
संवर गए शादी के बाद ।।2।।
खेलते थे क्रिकेट साथ में
चौके छक्के जड़ते थे
हो जाते थे आउट फिर भी
खेलने खातिर अड़ते थे
करते थे बेईमानी लेकिन
संभल गए शादी के बाद
हद से ज्यादा थे उत्पाती
संवर गए शादी के बाद ।।3 ।।
ग्रूप बनाकर औरों से हम
झगड़ा किया करते थे
बात बिना बतंगड़ कर हम
रगड़ा किया करते थे
करते थे शैतानी लेकिन
समझ गए शादी के बाद
हद से ज्यादा थे उत्पाती
संवर गए शादी के बाद ।। 4 ।।
चुपके से जाकर बगिया मे
आम चुराया करते थे
बैठ मजे से बड़े ठाट से
मिलकर खाया करते थे
आपस मे लड़कर मिलना
वो पल भी गए शादी के बाद
हद से ज्यादा थे उत्पाती
संवर गए शादी के बाद ।। 5।।
बैठक मे हम जोर-जोर से
गाना गाया करते थे
थाली लोटा और टिना पर
ढोल बजाया करते थे
उदित नारायण और सानु के
नकल गए शादी के बाद
हद से ज्यादा थे उत्पाती
संवर गए शादी के बाद ।। 6 ।।
कवि ---- प्रेमशंकर प्रेमी (रियासत पवई )
5.
ट्राफिक पुलिस
खडे़ चौक पर हाथ हिलाता
करता हमें इशारा
चलें सुरक्षित सड़क पे ,कहता
सबका जीवन प्यारा
धूप कड़ी या ठंड कपाती
हरपल अड़ा ही रहता वो
भीड़ भरे बाजार के बीच में
चौक पर खडा़ ही रहता वो
मुंह में भिसील हाथ में डंडा
कभी नहीं वह पड़ता ठंडा
सफेद लिवास में रहता हरपल
मदद सभी का करता हरपल
दाएँ हाथ को कभी हिलाता
कभी दिखाता बाएँ
सिकन नहीं माथे पर, करता
निःस्वार्थ सेवाएं
यातायात नियंत्रित करता
जाम हटाता कभी न डरता
दुर्घटना से हमें बचाता
ट्राफिक सिपाही कहलाता
कवि--- प्रेमशंकर प्रेमी (रियासत पवई )