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अपनी 6 रचनाओं को आपकी भाषा में प्रस्तुत कर रहे , प्रेमी जी। प्रेमशंकर प्रेमी की दिल से उपजी रचनाओं को जरूर देखें_premi

१)--
विजयादशमी की शुभकामनाएं


दशहरा का पर्व यह ,पावन और पुनीत 
पाप हमेशा हारता,होती  पुण्य कीजीत ।
भाईचारे और प्रेम का ,है यह पर्व प्रतीक
गाते  हमसब प्रेम  से , माँ  दुर्गे की गीत ।।

मन मे भक्ति भावना, हरदम रखते साथ
नौ दिन के उपवास में, करते माँ का पाठ ।
रघुवर ने इस दिन किया रावण का संहार
दैत्य  वध से माता ने जग का किया उद्धार ।।

आश्विन मास  शुक्लपक्ष ,पावन पर्व पुनीत
विजयादशमी  पर्व  यह  ,सदा बढ़ाती प्रीत ।
नये वस्त्र धारण करते,  इस दिन हिन्दू लोग
एक दुजे घर जाकर पाते, प्रेम के मीठे भोग ।।

बडे़, बूढ़े, विद्वानों को, कर जोरी प्रणाम
बच्चों को आशिष  मेरा, प्रेमशंकर है नाम ।
माँ दुर्गा कृपा करें  , रहे लोग खुशहाल
जिनसे  मिट जाता यहाँ, बूरा वक्त हरहाल ।।

2)--
देवी भक्ति गीत

तर्ज---तुझको पुकारे मेरा प्यार ( नीलकमल )

आजा  आजा आजा माँ आजा
अब तो चली आ एक बार 
माता कब से खड़ा हूँ तेरे द्वार पे
दर्शन दिखा जा एक बार
अब तो --------------------

जीवन का सब सुख छिपा है माता चरण  में तेरे
करती मुरादें पूरी आता है जो भी माता शरण में तेरे
मेरा भी कर दे बेडा़ पार
माता कब से खडा़ हूँ तेरे द्वार पे
दर्शन दिखा-------------------

धरती पर से पाप मिटाने तुझको आना पड़ेगा
अबलाओं की लाज बचाने तुझको आना पड़ेगा
विनती है तुझसे बारम्बार
माता कबसे---------------
दर्शन-----------------------

भक्तन की जो भीड़ लगी है माता द्वार पे तेरे
द्वार खड़ा हूँ लाज बचा दे मईया  आकर मेरे
कर दे माँ मुझपर उपकार
माता कब से------------------------
दर्शन-------------------------------

कवि ---- प्रेमशंकर प्रेमी ( रियासत पवई )

3)--
देवी भक्ति गीत

झूला लगयीले बानी ,नीमिया के छाँव में
आई जयीतु माई तनिका,आज हमरा गाँव में

हमरी जिनिगीया में ,भयील बा अन्धार हो
सुनिले की महिमा तोहर ,बाटे अपरम्पार हो
आपन मथवा झुकाई करी,विनती तोहर पाँव में
आई जयीतु----------------------------

काहे खातिर भयीलु माई ,एतना कठोर हो
झर ताड़े अँखिया से ,झर झर लोर हो
बुझे नाहीं लोग हमरा ,गऊवाँ गिराव में
आई जयीतु------------------------

करीं का उपाय हमरा ,कछुओ ना सुझे
घर परिवरवो ना,  तनिको  हमरा  बुझे
देई दा बलकवा एक आशिषवा के छाँव में
आई जयीतु-----------------------

झूला लगयीले----------------------
आई जयीतु--------------------------

कवि -----प्रेम शंकर प्रेमी  ( रियासत पवई )

4)---
देवी भक्ति गीत

(तर्ज----जब रात रही बाकी कुछऊ )

तेरे दरशन की प्यासी अँखिया
मोरे गाँव मयरिया आ जयीतु
विपदा में पड़ल बानी कबसे
रहिया हमके  दिखला जयीतु
तेरे दरशन------------------
मोरे गाँव ------------------------

दुखवा हमरा  कोई  बुझे ना
केकरा से कहीं कुछ सुझे ना
बाँझिन बनके हम कब ले रहीं
किरपा हमपर तु बना जयीतु
तेरे दरशन------------------
मोरे गाँव--------------------

ससूई हमरा फटकार  करे
ननदी ताना  से  वार करे
मरदा भी मुह से बोले ना
मईया तु लाज बचा जयीतु
तेरे दरशन----------------
मोरे गाँव-------------------

तोहरे असरा बस लागल बा
किसमत हमरा से भागल बा
विनती तोहसे बा  जगदम्बा
गोदिया बलका दिखला जयीतु
तेरे दरशन--------------------
मोरे गाँव --------------------------
विपदा में----------------------
मोरे गाँव----------------------

कवि----- प्रेमशंकर प्रेमी ( रियासत पवई )
5)--
देवी भक्ति गीत

आईल नवरातर सईयाँ हमें बतलावा हो
कब चलबा माई दरबार हो
उनके कृपा से पयीनी जननी  के सुखवा हो
गोदिया भरल बा हमार हो
 सईयाँ ,कब चलबा-------------------

चुनरी चढा़ईब माई के आरती उतारब हो
नव दिन करब उपवास हो 
गाँव के  मंदिरवा में दियना जलाईब  हो
मईया करेली जहवाँ वास हो

शेरवा सवारी बाटे पर्वत बा डेरवा  हो
महिमा माई के  अपरम्पार हो
काली के रूपवा धरी सबके बचयीली हो
दईतन के करी  के  संहार हो

जाईके मंदिरवा मे मथवा नवाईब  हो
मनवा में शरधा बा अपार हो
सुनी प्रेमशंकर भईया मानी हमरी बतिया हो
ईनका के करीं अब तईयार हो
जाएके बा माई दरबार हो 

आईल नवरातर सईयाँ हमें बतलावा हो
कब चलबा माई  दरबार हो 
भीड़वा लागल बा अपार हो
उनके पूजेला अब संसार हो
करब हम माई के दिदार हो

कवि----प्रेमशंकर प्रेमी ( रियासत पवई )
6)--
देवी गीत

सुनो विनती माँ जगदम्बे
मैं तेरे द्वार आया  हूँ
सजाकर थाल पूजा की 
मैं अपने साथ लाया  हूँ

तुम्ही शक्ति की दाता हो
सभी भक्तन की माता हो
तुम्ही से माँ बनी सृष्टि
हमारे भाग्य विधाता हो
मुझे चरणों में ले लो माँ
तेरे दर्शन को आया हूँ
सजाकर------------
मैं अपने------------

तेरी किरपा से हर प्राणी
जीवन में सुख पा जाते
होकर जो मुक्त कष्टों से
तेरी भक्ति भी पा जाते
गाऊँ तेरा मैं जगराता
तेरे मंदिर में आया हूँ
सजाकर थाल पूजा की
मैं अपने साथ लाया हूँ

सुनो विनती-------------
मैं तेरे--------------------
सजाकर-----------------
मैं अपने साथ-------------

कवि----- प्रेम शंकर प्रेमी  (रियासत पवई )


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