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सच का बलात्कार ,कहानी_Arwind akela

लघुकथा

       सच का बलात्कार
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       टीवी पर हाथरस की बेटी की हत्या पर घटी घटना का समाचार सुनते-सुनते एक कवि हृदय अभय सिन्हा का कान पकने लगा था।
        हाथरस की घटना ने अभय के हृदय को  झकझोर कर रख दिया था और कुछ सोचने को मजबूर कर दिया था।
        अभय सिन्हा मन हीं मन सोचने लगा कि घटना सिर्फ एक घटी । हाथरस की घटना की सच्चाई सिर्फ एक हीं थी,लेकिन विभिन्न राजनीतिक पार्टी के नेताओं,अखबार पत्रों व  टी  वी चैनलों ने उसे अलग अलग ढंग से तोड़ मरोड़ कर पेश किया, जिस कारण लोगों में उबाल आ गया।    अभय जी इसी उधेड़ बुन में कुछ सोच हीं रहे थे कि पीछे से एक कलाकार संजय पासवान ने अभय के कंधे पर हाथ रखते हुये कहा कि 'अभय भाई,लगता है कि आप हाथरस की घटना के बारे में सोच रहे हैं। इन सब बाहियात खबर के बारे में बिल्कुल मत सोचिये,वर्ना यह दिमाग पागल हो जायेगा।कभी कभी मिडिया बिना सच्चाई की तह में गये बिना अपनी लोकप्रियता बढ़ाने एवं अपने-अपने चैनल की टी आर पी बढ़ाने के लिये घटना को तोड़ मरोड़ कर पेश करती है ।राजनीतिक दल घटित घटना पर अपना राजनीतिक रोटी सेंकते हैं एवं अपनी राजनीति चमकाते हैं।'
     अभय ने उत्सुकतावश संजय से पूछा 'और क्या जानते हो संजय भाई हाथरस की घटना के बारे में।'
     संजय ने कहा कि 'हाथरस की घटना प्रेम प्रसंग से जुड़ा मामला है। सवर्ण जाति का युवक पिछड़ी जाति की लड़की से प्यार करता है। लड़का एक फोन लड़की को आपस में बात करने के लिए दे देता है जिसकी जानकारी लड़की के भाई व माई को लग जाती है,जिस कारण वह लड़की को भला बुरा कहते हैं। एक दिन लड़की खेत में काम कर रही थी तभी उसी गाँव का सवर्ण जाति का प्रेमी आकर लड़की से बात कारने का प्रयास करता है। बात करते हुए लड़की का भाई देख लेता है। माई और भाई लड़की को बहुत बुरा भला करते हैं ,लड़की की खुब पिटाई करते हैं जिससे लड़की मर जाती है। लड़की का भाई व माई कानून से बचने के लिए लड़की के प्रेमी पर हत्या करने का आरोप लगाते हैं। यहीं से मिडिया और राजनीतिक दलों का शह व मात का खेल शुरु होता है ।' पास में हीं दोनों की बात सुन रहे गाँव के एक बृद्ध व्यक्ति राम खेलावन चाचा ने कहा कि 'मीडिया और राजनीतिक पार्टियों ने बात का बतंगड़ बना दिया या सच मायने में कहें तो सच का बलात्कार कर दिया। वेवजह अपने गाँव को पुरे विश्व में बदनाम 
कर दिया।'
     संजय पासवान और राम खेलावन चाचा नेहरू बातों से अभय को सुकून मिला।
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         अरविन्द अकेला
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