कुछ लोग
आते हैं जो लोग यहां
अपना करतब दिखलाते हैं ।
दर्द दिलों में दे जाते
कुछ हृदय को पिघलाते हैं ।।
नाम बेचकर जाते हैं
कुछ नाम कमाकर जाते है ।
कुछ पहचान मिटाते तो
कुछ साख बनाकर जाते है ।।
बूरे वक्त से पक जाते
कुछ हमें पकाकर जाते हैं ।
प्राण गंवाकर कुछ जाते
पर हमें बचाकर जाते हैं ।।
रंगमंच है यह दुनिया
जिसपर सब रौल निभाते हैं ।
लगा मुखौटा चेहरे पर
कुछ लोगों को भरमाते हैं ।।
खुद के मेहनत से कुछ तो
अपना तकदीर बनाते है ।
पुर्वज के अर्जित धन दौलत
को कुछ आग लगाते है ।।
कुछ अपना परिवार चलाते
घर को स्वर्ग बनाते हैं ।
कुछ तो घर के मान प्रतिष्ठा
को भी दाव लगाते हैं ।।
कुछ लोगों की चिता जलाते
पर कुछ को दफनाते हैं ।
लेकिन मरने पर हर प्राणी
गति एक ही पाते हैं ।।
जाति धर्मों में बंट कर
आपस में खून बहाते हैं ।
भूल जाते जो सबके अन्दर
लाल रक्त ही पाते हैं ।।
कुछ मंदिर में विनती करते
मस्जिद में कुछ जाते हैं ।
सबकी मन्नत पूरी करने
ईश्वर एक ही आते हैं ।।
कुछ नफरत की चिंगारी से
देश को भी दहलाते हैं ।
प्रेम से सबको गले लगाकर
कुछ इतिहास रचाते हैं ।।
कवि---- प्रेमशंकर प्रेमी ( रियासत पवई )