कहानी
संकीर्ण विचार
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"सर,बेला गाँव के हरिजन टोली में मास रिफ्यूजल हो गया है। हरिजन गाँव के पचास साठ घरों के लोगों ने अपने गाँव,टोले में सड़क नहीं बनने के कारण पोलियो की खुराक पिलाने से इंकार कर दिया है।"
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, पुरवहिया के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर हरीश राम के आये फोन ने युनिसेफ के जिला प्रतिनिधि सुजीत कुमार के होश उड़ा दिये थे।
सुजीत कुमार के बगल में बैठे पाथ प्रतिनिधि अजय कुमार सिन्हा व जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी सुरेन्द्र सिंह ने सुजीत कुमार के उदास चेहरे को देखकर मुस्कुराते हुये कहा कि सुजीत जी टेंशन लेने की जरुरत नहीं है।
सुरेन्द्र, सुजीत व अजय जी तीनों मिलकर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी पास गये। प्रभारी ने कहा कि यह तो डी एम व विडियो से संबंधित मामला है इसलिये चलिये हमसब बिडियो पास चलते हैं।
चारों जब बिडियो पास गये तब पत्ता चला कि बी डी ओ साहब डी एम साहब पास गये हैं।
डी आई ओ साहब ने वहीं पर बैठे बैठे फोन लगाया तो बी डी ओ ने बताया कि" चुनाव बाद हीं अब हम उस हरिजन टोली में जायेंगे और उन सभी की समस्याओं का हल करेंगे।"
बी डी ओ साहब की बात सुनकर चारों थोड़ा निराश हुये परन्तु हिम्मत नहीं हारे।
चारों व्यक्ति वहीं से गाड़ी पर बैठे और बेला गाँव के हरिजन टोली की ओर प्रस्थान कर गये।
चारों व्यक्ति ने अपनी गाड़ी बेला टेम्पो स्टैंड के पास खड़ी करके पैदल हीं बसवाड़ी और पगडंडी होते हुए हरिजन टोले में पहुंचे जहां के लोगों ने पोलियो की खुराक पिलाने से इंकार किया था। हरिजन टोले के लोगों ने अपने अपने घरों से कुर्सी निकलवा कर प्रेम से बैठाया।
हरिजन टोले के एक पढ़े लिखे नवयुवक सुरेश राम ने चारों अधिकारियों को बताया कि "मेरा हरिजन टोला गाँव की मुख्य सड़क से लगभग एक किलो मीटर दूर है जिस कारण हम सभी को दिन हो या रात,जाड़ा,गर्मी हो या बरसात, आने-जाने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। यह रोड सरकार के नक्शा में पास है,फिर भी पथ निर्माण विभाग,बी डी ओ और बिधायक मिलकर नहीं बनवा रहा है।"
डी आई ओ साहब ने ग्रामीणों को बताया कि "हम सभी स्वास्थ्य विभाग से हैं। यदि आप लोंगों को हमारे विभाग से कोई दिक्कत हो तो कुछ कहिये।"
पाथ के "अजय ने कहा कि पोलियो की खुराक बच्चों को स्वस्थ्य जिंदगी एवं पोलियो मुक्त जीवन प्रदान करता है इसे पिलाने में हर्ज क्या है। यदि आपलोंगों को हमारी ए एन एम दीदी एवं आशा कार्यकर्ता से कोई दिक्कत हो तो हमें बताईये। भारत सरकार ने पंचायत स्तर पर सारा अधिकार पंचायत व उसके मुखिया को दे दिया है। मुखिया यदि चाहेगा तो आपकी इस समस्या का हल कर सकता है।"
हरिजन टोला के हीं पच्चास वर्षीय सुरेन्द्र पासवान ने अधिकारियों को बताया कि "यहाँ के मुखिया ने अपने घर से गाँव जाने के लिये एक अलग सड़क बनवा लिया है,हमलोगों को कच्ची सड़क में कादो,कीचड़ व पानी में चलने के लिए छोड़ दिया है इसलिए हमलोगों ने बच्चों को पोलियो की खुराक नहीं पिलाने और चुनाव में वोट बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।"
गाँव से वापस लौट रहे अधिकारियों को गाँव के हीं एक सज्जन गोगन रजक ने बताया कि "ये लोग थोड़ा पढ़ा लिखे जरुर हैं सर पर अपने आपको काफी पढ़ा लिखा व जानकार समझते है। ये सब पढ़ा लिखा सोच,विचार का जाहिल व जिद्दी है।इनलोगों को कितना भी समझा लीजिये कोई नहीं असर पड़ने वाला है। इन लोगों ने दिन में पोलियो टीम को भी काफी भला बुरा कहा था।" गोगन रजक ने कहा कि सर "इन लोगों को पाँच सौ,हजार रुपये दे दीजिए लेकिन अक्ल नहीं दीजिए ।"
यह सुनकर चारों अधिकारी निराश मन से अपनी अपनी गाड़ी पर बैठकर चल दिये।
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अरविन्द अकेला