Type Here to Get Search Results !

आओ मिट्टी के दीप जलाऐं,हम मिलकर दिवाली मनाऐं_lalita

*मिट्टी के दीप जलाऐं*

आओ मिट्टी के दीप जलाऐं,
हम मिलकर दिवाली मनाऐं।

कृत्रिम दियों से घर न,
रोशन करें हम। 
वल्व की झालरें न,
हम अब  जलाऐं।
विद्युत को हम बचा के,
खुशबू जहाँ में फैलाऐं।
आओ मिट्टी के दीप जलाऐं,
हम मिलकर दिवाली मनाऐं। 

जो मिट्टी के कण-कण को जोङे,
अपने सपनों को उसमें संजोऐ।
अपने जीवन का ख्वाब जो देखे,
उस कुम्हार से दीप हम लेके
उसके घर की दिवाली मनाऐं। 
आओ मिट्टी के दीप जलाऐं,
हम मिलकर दिवाली मनाऐं। 

घर आँगन में रंगोली बनाके,
दरवाजों पे तोरण सजाके।
अब पाटाखों का करके त्याग हम,
मिठाई पकवान बनाके।
गरीबों को शामिल कर खुशियों में,
लक्ष्मी का स्वागत करें हम।
आओ मिट्टी के दीप जलाऐं,
मिलकर दिवाली मनाऐं। ।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

स्वरचित मौलिक रचना 
ललिता कुमारी वर्मा अलीगढ़ उत्तर प्रदेश का

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.