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अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच मुंबई ने विषय आग,अग्नि,अनल समानार्थी शब्दों पर किया काव्यगोष्ठी महा कवि सम्मेलन_sahib

*दिनाँक 23/11/2020 को अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच मुंबई ने विषय आग,अग्नि,अनल समानार्थी शब्दों पर किया काव्यगोष्ठी महा कवि सम्मेलन।*
मुंबई: - अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच एक समाजिक, साहित्यिक संस्था है, जो पिछले २५ वर्षों से सामाजिक व साहित्यिक कार्य कर रही है। लाकडाऊन में इससे उभरने के लिये ऑनलाइन कवि सम्मेलन शुरु किया था। इसी कड़ी में आज पंचतत्व में से एक महत्वपूर्ण व पावन तत्व अग्नि पर कवि सम्मेलन रखा गया।
मंच की अध्यक्ष अलका पाण्डेय ने बताया की अग्नि, अनल, पावक, दहन, ज्वलन, धूमकेतु, कृशानु, हुताशन, वैश्वान, शुचि, ज्वाला पवित्र अग्नि के प्रयोग से जीवन में सुंदरता और सरलता आती है लेकिन ज़रा सी लापरवाही अग्नि को विध्वंसक भी बना सकती है। ज्योतिष के जानकारों की मानें तो पंच तत्वों में सबसे पवित्र तत्व अग्नि है. धर्म और विज्ञान दोनों क्षेत्रों में अग्नि का विशेष महत्व है. हमारे कवि सम्मेलनों में हम लेखकों से नयी रचना लिखवाते है। कवि सम्मेलन में स्वरचित गीतों का भी काव्य पाठ किया जाता है।

आज के इस भव्य कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दोहा सम्राट - श्री विष्णु शर्मा हरिहर , समारोह अध्यक्ष श्री हरिवाणी थे। विशिष्ट अतिथि में अमरेन्द्र कुमार मिश्र राष्ट्रीय सहारा गडहनी रिपोर्टर पथार गडहनी भोजपुर आरा बिहार, श्री राम राय , नरेन्द्र कुमार, दुबे ,कुंवर वीर सिंह मातर्ण्य , श्री जनार्दन सिंह पत्रकार एवं आशा जाकड जी थे , गणेश स्तुति अलका पाण्डेय, ने की और सरस्वती वंदना " हेमा जैन ने किया। करीब 85 कवियों ने " अनल " पर गीत गाये। *कार्यक्रम दो सत्रों में संचालित हुआ। पहले सत्र का संचालन-डॉ अलका पाण्डेय औऱ चंदेल साहिब ने किया।*  *दूसरे सत्र का संचालन शोभा रानी तिवारी, सुरेन्द्र हरड़ें  ने किया।* पाँच घंटे सभी ने अग्नि पावन गीतों के आनंद में डूबे रहे ।अग्नि हिंदुओं का पावन पंचतत्वों में से एक है। कोई भी मांगलिक कार्य शादी , हवन , अग्नि के बिना पूरा नहीं होता । पूजा भी अग्नि को साक्षी मान कर करते है अग्नि का पुराणों में भी महत्व बतलाया है। अग्नि ख़तरनाक भी है इससे सावधानी भी रखना चाहिऐ ।
*अंत में अलका पाण्डेय ने आभार व्यक्त किया*।
प्रमुख कवियों में , विष्णु शर्मा , श्री अमरेन्द्र मिश्र जनार्दन सिंह श्री राम रॉय , श्री नागेन्द्र दुबे श्री हरिवाणी , कुंवर वीर सिंह श्री वल्लभ , गोवर्धन लाल बघेल,
चन्दा डांगी, प्रेरणा सेन्द्रे , द्रौपदी साहू, सुषमा शुक्ला,बृजकिशोरी त्रिपाठी ,शोभा रानी तिवारी , मधु वैष्णव "मान्या", सुरेन्द्र हरड़े, ममता तिवारी, आनंद जैन अकेला,डा अँजुल कंसल", शुभा शुक्ला निशा ,मधु वैष्णव "मान्या" , रजनी अग्रवाल , ओजेंद्र तिवारी,पदमा ओजेंद्र तिवारी  ,मंजुला वर्मा,सीमा दुबे , रेखा पाडेंय ,जनार्दन शर्मा , शेखर राम कृष्ण तिवारी ,ज्ञानेश कुमार मिश्रा ,वीना अडवाणी , विजय बाली , रानी नारंग , दिनेश शर्मा, शोभा रानी तिवारी,ममता तिवारी , वैष्णो खत्री वेदिका, लीला कृपलानी,सुनीता चौहान , स्मिता धिरासरिया ,शकुन्तला पावनी,मुन्नी गर्ग,)अंकिता सिन्हा,अनिता झा, ओमप्रकाश पाण्डेय,रामेश्वर प्रसाद गुप्ता, 
सुनीता अग्रवाल, इन्द्राणी साहू"साँची" ,राजेश कुमार बंजारे,
चंदेल साहिब ,सुरेंद्र हरड़े ,
विजेन्द्र मेव,प्रतिभा कुमारी पराशर,संजय कुमार मालवी,चन्दा डांगी आदित्य सीमेंट, कवि आनन्द जैन अकेला, रानी अग्रवाल,दविंदर कौर होरा,डॉ नेहा इलाहाबादी ,सुषमा शुक्ला, पद्माक्षी शुक्ल, प्रो शरद नारायण खरे,डॉ नीलम खरे नीलम पाण्डेय,बृजकिशोरी त्रिपाठी हीरा सिंह कौशल,
गोवर्धन लाल ,शुभा शुक्ला निशा, कुवंर वीर सिंह मार्तण्ड , आशा जाकड ,मीरा भार्गव, चंद्रिका व्यास डा. साधना तोमर, डा.महताब अहमद आज़ाद ,डॉ मीना कुमारी'परिहार'
प्रा , रविशंकर कोलते  ।डाॅ0 उषा पाण्डेय,गीता पांडेय  "बेबी "जबलपुर सुषमा मोहन पांडेय , वंदना शर्मा , डॉ अंजूल कंस, कांता अग्रवाल .डॉ ब्रजैन्द्र नारायण द्विवेदी ,गरिमा,डॉ महेश तिवारी चन्देरी , डाॅ पुष्पा गुप्ता , बरनवाल ,मनोज  अंजान,मीना गोपाल त्रिपाठी, अनुपपु, गुरिंदर गिल , उपेंद्र अजनबी,माधवी अग्रवाल "मुग्धा , डॉ रश्मि शुक्ला , अरुण कुमार मिश्र, डॉ संगीता श्रीवास्तव ,डॉ ज्योत्सना सिंह ,साहित्य ज्योति हेमा जैन , रागिनी मित्तल कटनी ,मालविका “मेधा “सावित्री तिवारी,रंजन शर्मा,श्रीमती निहारिका झा ,देवी प्रसाद पाण्डेय ,रंजना शर्मा "सुमन" ,उमा पाडेंय,सुरेंद्र कुमार जोशी ,रेखा चतुर्वेदी , कल्पना भदौरिया "स्वप्निल आदि का समावेश रहा।सबका आभार अलका पाण्डेय ने किया राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम समाप्त  हुआ।
६० वाँ कवि सम्मेलन सम्मपन्न हुआ कवियों की कुछ झलक:-

*डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई*
पंचतत्वों से निर्मित काया।
पंचभूतों की है महामाया ।।
अनल है पावन मंगलदायक।
धंनजय नाम धराया सुख दायक।।

*चंदेल साहिब हाइकु*
चिंगारी उठी
जँगल धुँआ धुँआ
कहानी ख़त्म।

पवित्र अग्नि
बंधन, सात फेरे 
वर व वधू।

इश्क़ हवा
साँसों में बहती
पावक बन।

राख करती
पेड़ व पशु-पक्षी
वन अनल।

ख़त्म करती
प्रतिशोध की ज्वाला
नहीं छोड़ती।

नष्ट करता
दहेज़ का कृशानु
रिश्ते व नाते।

कर रोशनी
नभ में धूमकेतु
हैं विचरते।

*श्री राम रॉय*
जग का उल्टा पासा है
बस आग ही आशा है।
कैसे निकले कोई बाहर
फैला घोर कुहासा है।।

आग बिना मिलते नहीं, कभी प्रेम के हाथ।
जब तक जिंदा आग है, तब तक रहते साथ।।
तेरे मेरे बीच में, रिश्ता केवल आग। इसके कारण गा रहे ,दोनों मिलकर फाग।।
*विष्णु शर्मा हरिहर कोटा राजस्थान*

सम्मा पर जल जाने वाले, नहीं पतंगे बनना है
देख दूसरों की उन्नति को नहीं हमें अब जलना है
भ्रष्ट आचरण के कूड़े को अब तो साफ करेंगे हम
संस्कार की आग जलाकर गंदा खाक करेंगे हम।
*कुंवर वीर सिंह मार्तण्ड*
सम्पादक: साहित्य त्रिवेणी
एवं नव साहित्य त्रिवेणी
"    अग्नि  "
पांच तत्व से जगत बना यह
पांच तत्व से काया
महत्वपूर्ण है इसमें देखों अग्नि की माया
*चन्दा डांगी* चित्तौड़गढ़ राजस्थान

जगत पिता की सृष्टी में
              एक तत्व है आग।
यह सब देवो के मुख है
         यज्ञ आहूती से पाते भाग।।
*गोवर्धन लाल बघेल जिला महासमुंद छत्तीसगढ़*

प्रचंड ऊष्मा युक्त, यह आग ही तो होती है।
सर्व कलुष दाग को, बस आग ही तो धोती है।।
*कवि आनंद जैन अकेला कटनी मध्यप्रदेश*

पंच तत्वों से बना जगत 
पंच तत्वों से निर्मित काया 
अग्नि की है विशिष्ट माया 
आग पावक नाम कहलाया 

*डॉक्टर अंजुल कंसल कनुप्रिया
हमें अग्निपथ पर चलना होगा
अग्नि जीवन में उष्मा देती,
हर दिन काम आती है,
चुनौतियों को लक्ष्य बनाकर
मुसीबतों से लड़ना सिखाती है।
*शोभा रानी तिवारी इन्दौर*

मैं आग हूं भभकना काम मेरा है जला दो विकारों को अपने समझना काम तेरा है।।
*पदमा तिवारी दमोह*

होता अन्न पाचन वैश्वानर जठराग्नि से,
धातु सुपाच्य बनता धात्वाग्नि से, प्राणवायु के अधीनस्थ उदान वायु, 
त्रिकालदर्शी बनाते उर्ध्व गति अग्नि से,
*पद्माक्षी शुक्ल,पुणे,*

काव्याग्नि पथ पर ले जा रही हमें  दी अलका 
अग्निशिखा काव्य समूह का झलक अनोखा 
यह भाव -प्रेम  स्नेह का मिलाप मधुर -मधुर
इसकी अनेक नग्म ऊंचाई पर 
पुलकित -पुलकित। 
*सरोज लोडाया*

फेरे तो रुक्मणी के साथ हुए हैं,पर उनका नाम कहीं नहीं आता है ।
विरह की अग्नि में जली थी राधा तो, श्री कृष्ण को ' राधेय ' ही बुलाया जाता है।।
*सुनीता चौहान हिमाचल प्रदेश*

ऐसी हो इक त्याग की आग जो मन कुंदन सा कर जाए 
रिश्तों का अहसास हो जिसमें
सबसे प्रीत की चाह हो जिसमें प्रभु चरणों में ध्यान लगा कर प्रभु मिलन की चाह हो जिसमें ऐसी आग मन में जरूर लगनी चाहिए 'रानी'
हर इक का दर्द, दर्द हो अपना, दुःख सुख बांटने की चाह हो जिसमें ।
*रानी नारंग*

पंचभूत से उत्पन्न आग 
जीवन का उपुक्त अंग 
साथ रहे हर पल 
चाहे आज हो या कल। 
*प्रेरणा सेन्द्रे*

अग्नि अग्नि जल वायु पृथ्वी आकाश पर्यावरण और जीवन का प्रकाश सत तम् रज का समन्वय  है अग्नि तमसो मा ज्योतिर्गमय संदेश है अग्नि
*ममता तिवारी इंदौर*

तम बहुत भरा है ह्रदय में 
 इसे आज हटाऊं मैं 
 उधेड़बुन हुई बहुत
प्रेम की मशाल जलाऊं मैं |
*डॉ. दविंदर कौर होरा*

आदिमानव ने पत्थरों को घर्षण! सर्वपयोगी अग्नि का प्रज्वलन किया, मानव ने हालातों का आकलन कर, के इस पावन, अग्नि का निर्माण किया।
*सुरेन्द्र हरडे कवि, नागपुर*

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