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इक चाँद आसमां पे इक चाँद जमीं पर ।होगा दीदार दोनों का इस करवा चौथ पर ।।केवरा यदु "मीरा "_yadu

करवा चौथ पर 

इक चाँद आसमां पे इक चाँद जमीं पर ।
होगा दीदार दोनों का इस करवा चौथ पर ।

चाँद मेरे सजन चाँदनी मैं बनी 
हाथ मेंहदी पग महावर दुल्हन मैं बनी ।
माथे बिंदिया सजाई साजनके नाम पर ।।
होगा दीदार दोनों का इस करवा चौथ पर ।।

आरती उतारूँ बन सजन की प्रियतमा 
पिय को निहारूं छलनी से और चंद्रमा ।
माँगू गौरा से वर इस करवा चौथ पर।।
होगा दीदार दोनों का इस करवा चौथ पर ।।

सुहागन करवा सजाती है बायना भर कर ।
सासू माँ से आशीर्वाद लेती है पाँव छूकर ।
प्यार उपहार पाती इस करवा चौथ पर ।।
होगा दीदार दोनों का इस करवा चौथ पर ।।

रूप लावण्य देख मुस्कुरा रहे सजन ।
सजनी कहती सौ जनम बनो तुम्ही मेरे सजन ।
भोले नाथ से मैं माँगू इस करवा चौथ पर ।।
होगा दीदार दोनों का इस करवा चौथ पर ।।

पाई उपहार आज फिर साजन के हाथ से ।
तोड़ती ब्रत आज खाकर साजन के हांथ से ।
साजन ने भी ब्रत तोड़ा इस करवा चौथ पर ।।
होगा दीदार दोनों का इस करवा चौथ पर।।

जुग जुग जिये सजन मेरा माँगू मैं रब से ।
माँगा है सजनी तुमको विधाता से कब से ।
इक दूजे के लिये जियेंहाथों में हाथ धर।
होगा दीदार दोनों का इस करवा चौथ पर ।।

इक चाँद आसमां पे इक चाँद जमीं पर ।
होगा दीदार दोनों का इस करवा चौथ पर ।।

केवरा यदु "मीरा "
राजिम

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