करवा चौथ पर
इक चाँद आसमां पे इक चाँद जमीं पर ।
होगा दीदार दोनों का इस करवा चौथ पर ।
चाँद मेरे सजन चाँदनी मैं बनी
हाथ मेंहदी पग महावर दुल्हन मैं बनी ।
माथे बिंदिया सजाई साजनके नाम पर ।।
होगा दीदार दोनों का इस करवा चौथ पर ।।
आरती उतारूँ बन सजन की प्रियतमा
पिय को निहारूं छलनी से और चंद्रमा ।
माँगू गौरा से वर इस करवा चौथ पर।।
होगा दीदार दोनों का इस करवा चौथ पर ।।
सुहागन करवा सजाती है बायना भर कर ।
सासू माँ से आशीर्वाद लेती है पाँव छूकर ।
प्यार उपहार पाती इस करवा चौथ पर ।।
होगा दीदार दोनों का इस करवा चौथ पर ।।
रूप लावण्य देख मुस्कुरा रहे सजन ।
सजनी कहती सौ जनम बनो तुम्ही मेरे सजन ।
भोले नाथ से मैं माँगू इस करवा चौथ पर ।।
होगा दीदार दोनों का इस करवा चौथ पर ।।
पाई उपहार आज फिर साजन के हाथ से ।
तोड़ती ब्रत आज खाकर साजन के हांथ से ।
साजन ने भी ब्रत तोड़ा इस करवा चौथ पर ।।
होगा दीदार दोनों का इस करवा चौथ पर।।
जुग जुग जिये सजन मेरा माँगू मैं रब से ।
माँगा है सजनी तुमको विधाता से कब से ।
इक दूजे के लिये जियेंहाथों में हाथ धर।
होगा दीदार दोनों का इस करवा चौथ पर ।।
इक चाँद आसमां पे इक चाँद जमीं पर ।
होगा दीदार दोनों का इस करवा चौथ पर ।।
केवरा यदु "मीरा "
राजिम