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जला आग सब सुख पाते हैं गरम चाय काँफी भाते हैं ।हीटर और एसी को चला कर ठंढक से मुक्ति पाते हैं_premi

सरदी के दिन

आज दिखाती तेवर अपना
सरदी हाड़ कँपाती है ।
रक्त जमाती तन के अन्दर
अपना रूप दिखाती है ।।

सब जीव जन्तु बडे़ बेहाल
ठिठुरन से है बूरा हाल ।
दुबके रहते घरों में अपने
तन पे मोटे कपड़े डाल ।।

रात रजाई रखते साथ
पैरों के बीच होता हाथ ।
तन को गोलाकार बनाए
कटती है बिस्तर में रात ।।

वृद्धजनों को खुब सताए
धूप सभी के मन को भाए ।
बहती है जब शीतल बयार
तन झेलता  बरफ की मार ।।

जला आग सब सुख पाते हैं
गरम चाय काँफी भाते हैं ।
हीटर और एसी को चलाकर
ठंढक  से मुक्ति पाते हैं ।।

कवि--प्रेमशंकर प्रेमी ( रियासत पवई )

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