एक ग़ज़ल डॉ शैलेश वाराणसी
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आप सारे रास्तों को बंद कर देंगे ,
आना जाना आपका होगा किधर से।1
कई दिन से वह गया है कमाने को,
घर न पहुंचेगा जब आएगा सफर से ।2
साथ में जो लोग दिखते हैं उन्हें,
कुछ न लेना खेत से है या नहर से ।3
मुर्दाघर की कुछ पुरानी लाश है वे ,
चाहते हैं जोड़ना खुद को लहर से।4
आप को बदनाम करने की है साजिश,
बेखबर हैं आप क्यों ऐसी खबर से ।5
बोलिए सचमुच क्या मनसा आपकी है ,
मुक्ति पाएं हवा में खुलते जहर से ।6
सुलझ जाएगी समस्या आपकी सब,
करिए कोशिश चलने की सीधी डगर से ।7
---डॉ ब्रजेन्द्र नारायण द्विवेदी शैलेश
वाराणसी 94 50 18 6712