हांथी और चींटी
-------------------------
पहाड़ियों और जंगलों से घिरा एक
छोटा सा गांव था लालगंज । इस के
ज्यादातर निवासी आदिवासी थे ।
इनका जीवन अति साधारण और जंगलों पर निर्भर था । इसी गांव में एक बड़ा सा सुंदर सरोवर था जिससे
गांव वाले और जंगली जीव जन्तु अपनी
प्यास बुझाते थे।अक्सर इस सरोवर में
हाथियों का एक झुंड आता ओर घंटों
पानी में जल किल्लोल करते । सरोवर के तट पर ही चींटियों की बांवी थी
जो हाथियों के पैरों से *कुचल* कर मर
जाते थे। चींटी अपनी व्यथा किसी से कह भी नहीं पाते, क्योंकि विशालकाय
हाथियों को देखकर वे पहले ही डर जाते थे । एक दिन परेशान होकर बूढ़ी
चींटी ने कहा कि आज जब हाथी सरोवर से निकल कर तट पर आराम कर रहे होंगे , तब हम उनके सूंड में घूस कर उन्हें काटने लगेंगे,तब हांथी छटपटाते हुए बचने की कोशिश करेंगे तो हम अपनी बात रखेंगे। फिर क्या था जब हांथी आराम हेतु तट पर बैठे तो बूढ़ी चींटी की योजनानुसार वैसा ही हुआ । चींटियों की बात सुनकर हांथी समझ गये कि छोटा या बड़ा सभी को जीने का अधिकार है , कोई किसी से कमतर नहीं । अब हांथी और चींटी दोस्त बन आराम से रहने लगें।
सुषमा सिंह
--------------------