कविता
जी नहीं मैं पाऊंगी
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श्याम बजा दो अपनी मुरलिया,
मैं दौड़ी-दौड़ी चली आऊंगी,
खो दूँगी सुध बुध अपनी,
तेरी धुन में खो जाऊंगी।
जब जब बजेगी मुरली तेरी,
तुझमें रस बस जाऊंगी,
कर दूँगी तन मन अर्पण,
तेरी मैं हो जाऊंगी।
एकपल मुझको भूल नहीं जाना,
वर्ना जी नहीं मैं पाऊंगी,
तेरी थी मैं तेरी रहूंगी,
जग को सब बताउंगी।
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अरविन्द अकेला,पटना,बिहार