कविता
सजना संवारना छोड़ दिये
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जबसे हुई है तुमसे मेरी शादी,
हम सजना संवरना छोड़ दिये,
इसका मतलब यह तो नहीं,
हम तुमपर मरना छोड़ दिये।
जबसे हुये तेरे दिल के दीवाने,
परवाने बनना हम छोड़ दिये,
जबसे आयी हो मेरी जिंदगी में,
हम खुद से लड़ना छोड़ दिये।
छूट गया मेरा घर परिवार सब,
दोस्तों घर आना जाना छोड़ दिये,
जबसे आयी तुम रौशनी बनकर,
हम किसी से दिल लगाना छोड़ दिये।
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अरविन्द अकेला