दिल की आवाज
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कुछ प्यार से लिखो,
कुछ प्यार में लिखो,
मेरे हमदम अपने,
दिल की बात लिखो।
तेरे दिल की आवाज,
मेरे दिल से टकराती,
हम तुम दोनों चुप,
खामोशी जुबां बन जाती।
ढुलकती हुईं शाम तेरा,
प्रेमिल एहसास करा गयी,
तेरे चेहरे की लाली,
अम्बर पर छा गयी ।
आंचल समेटती रही संध्या,
अपार रुप स्वर्णिम मल्लिका,
पेड़ों की फुनगियों पर,
तेरा आंचल लहरा गयी ।
ख्वाबों में आने वाले,
काश, जिंदगी में आते,
मिल जुल कर हम-दोनों
प्रेमांशियां फिर से बनाते।
सुषमा सिंह
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( सर्वाधिकार सुरक्षित एवं मौलिक)