Type Here to Get Search Results !

कूक रही कोयलिया काली ,झूम रहीं फसलें मतवाली ।पोर-पोर में दर्द नेह का -सुना रही ऑगन घरवाली_Gita Pandey

प्यारा बसन्त ।
×××××××××××××××


प्यारा बसन्त  प्रिय , आया बसन्त ,
दिग् दिगन्त में पुनि, छाया बसन्त।

झर झर झर झरते पत्ते सारे ,
झॉक रहे है कोंपल क्वॉरे ।
मादकता मलय लुटाता है,
सुरभित गॉंव-नगर गलियारे।
सन्देश नया ले ,आया बसन्त।
प्यारा बसन्त प्रिय,आया बसन्त ।1।

अब धमा चौकड़ी मस्ती है ,
अति मुदित मगन हर बस्ती है।
कजरारी पलकों में सुधियॉ-
पतवार बिना उर -कश्ती है।
तार-तार प्रियवर,छाया बसन्त।
प्यारा बसन्त प्रिय,आया बसन्त।2।

कूक रही कोयलिया काली ,
झूम रहीं फसलें मतवाली ।
पोर-पोर में दर्द नेह का -
सुना रही ऑगन घरवाली ।
नयनों को सपनों सा,भाया बसन्त।
प्यारा बसन्त प्रिय, आया  बसन्त।3।

गीता पाण्डेय अपराजिता
रायबरेली (उ0प्र0)

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.