स्वीकार। करती हूं
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बरसों है छुपाया,
आज कहती हूं,
मुहब्बत है तुमसे,
स्वीकार करती हूं।
मन में जल उठे,
तमन्नाओं के दीए,
दिल तड़प उठा,
दीदार के लिए ।
नजरों की वार से,
हुई थी शुरुआत,
दुनिया ने जिसे,
नाम दिया प्यार।
कोरे दिल पर,
प्यार उकेर के,
कहां जा बैठे सनम
दिल को छेड़ के।
मनवा प्रीत पगा ,
नेह के रंग रंगा,
हर पल राह तके,
कब आएंगे पिया।
बीत जाते हैं दिन,
काटे कटे ना रैना,
हर पल ख्यालों में,
रहूं तेरे सजना ।
जग जालिम बड़ा,
अरमां कुचलता रहा,
दुश्मन बन के खड़ा,
घोटें प्यार का गला।
गुनगुनाए ये दिल,
मुहब्बत के नगमें,
मुहब्बत के दुश्मन,
बने हैं सब अपने।
पिया मुझको एक,
बात बता दो,
मेरी तरह क्या,
तुम भी तड़पते हो ।
क्या रातों को,
नींद आती नहीं,
क्या मेरी तरह,
करवट बदलते हो।
इश्क भी मुआ,
कैसी बला है,
दिल के बदले,
दर्द देता है ।
इश्क है गहना,
इश्क है चूड़ी,
इश्क से मेरी,
मांग है सिंदूरी।
सुषमा सिंह
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( सर्वाधिकार सुरक्षित एवं मौलिक)
वेहतरीन रचना।
मेरी तरह क्या तुम भी तड़पते हो।