जीवन रागिनी
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दिशा बदल दे, दशा बदल दे,
जीवन की रूपरेखा बदल दे,
जीवन रागिनी
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दिशा बदल दे, दशा बदल दे,
जीवन की रूपरेखा बदल दे,
खुशियों की बारिश कर दे,
सलिल सरिता बन जीवन में बहे
स्तुत्य है यह साधिका ।
नहीं है सिर्फ कंचन कामिनी,
नारी तो है जीवन रागिनी,
प्रगल्भा, चंन्द्रसुधा ,ज्योत्सना,
सुघड़, सलज्ज भावप्रवण मुग्धा,
सृष्टि की है संचालिका।
रीति रिवाज धर्म निबाहती,
धूरी बन परिवार संभालती,
आन्नदमग्न हो सबको पालती,
अन्नपूर्णा बन क्षुधा मिटाती,
संवारती है गृह वाटिका।
कदम से कदम मिलाकर चलती,
शिकन ना लाती पेशानी पर,
ना थकती ना रुकती कभी ,
धर्य धरित्री सी धारती यह,
नारी तो है अपराजिता।
तिमिर हरती उजियार करती,
मायूस मन में उमंग भरती,
हर दुख सुख में ढाल बनती,
ताप शाप स्वयं सह लेती,
कंकटाकीर्ण राहों की उद्धारिका।
सुप्त गौरव को जगाती,
भरी दोपहरी में छांह बनती,
तन्वी होने का भ्रम मेटती,
घर गृहस्थी की आधारशिला,
जीवन चित्र की तूलिका।
सुषमा सिंह
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(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं मौलिक)
नहीं है सिर्फ कंचन कामिनी,
नारी तो है जीवन रागिनी,
प्रगल्भा, चंन्द्रसुधा ,ज्योत्सना,
सुघड़, सलज्ज भावप्रवण मुग्धा,
सृष्टि की है संचालिका।
रीति रिवाज धर्म निबाहती,
धूरी बन परिवार संभालती,
आन्नदमग्न हो सबको पालती,
अन्नपूर्णा बन क्षुधा मिटाती,
संवारती है गृह वाटिका।
कदम से कदम मिलाकर चलती,
शिकन ना लाती पेशानी पर,
ना थकती ना रुकती कभी ,
धर्य धरित्री सी धारती यह,
नारी तो है अपराजिता।
तिमिर हरती उजियार करती,
मायूस मन में उमंग भरती,
हर दुख सुख में ढाल बनती,
ताप शाप स्वयं सह लेती,
कंकटाकीर्ण राहों की उद्धारिका।
सुप्त गौरव को जगाती,
भरी दोपहरी में छांह बनती,
तन्वी होने का भ्रम मेटती,
घर गृहस्थी की आधारशिला,
जीवन चित्र की तूलिका।
सुषमा सिंह
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(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं मौलिक)