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विषमता की अब दीवारें तोड़ेंजाति - धर्म से ऊपर उठ करहोली के मधुर गीतों के संगहंसी - खुशी से होली मनाएं_sahitykunj

अबकी बार होली ऐसे
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इन आस्था की लकड़ियों से
वर्षों से जलती आई है होली
सच भी है ,और सचाई भी है 
लकड़ियां जल राख हो जाती है ।

कब तक लकड़ियां जलाएंगे
जंगल भी उदास हो जाएंगे
संकल्प लें,वृक्ष अबकी नहीं काटेंगे
अब तो प्रतीकात्मक होली मनाएंगे ।

हमारे मन का कल्मष जलाएं ।
अबकी बार होली ऐसे मनाएं ।। 1

वर्षों से खेल रहे हैं 
पानी से हम होली
न जाने कितना पानी
व्यर्थ ही कर देते हैं ।

पानी की एक -एक बूंद से 
किसी की जान बच सकती है 
इस बार हम होली ऐसे खेलें
एक - एक बूंद पानी बचाएं ।

पानी की हम कीमत जाने ।
अबकी बार होली ऐसे मनाएं ।। 2

भौतिकता की दौड़ में
पीछे छूट रहे हैं रिश्ते
रिश्तों में आई कड़वाहट को
आपसी सद्भाव से बचाएं ।

स्नेह की गुलाल लगा कर
आपसी बैर भाव को भुलाएं
समाज में बढ़ते तमस को
आपसी प्रेम की ज्योत से हटाएं ।

अपनों के इत्र की खुशबू लगा ।
अबकी बार होली ऐसे मनाएं ।। 3

सत्य का बोलबाला हो
बेईमानों की अब छंटनी करें
जन-जन के प्रयास से हम
स्वच्छ समाज स्वच्छ देश बनाएं ।

विषमता की अब दीवारें तोड़ें
जाति - धर्म से ऊपर उठ कर
होली के मधुर गीतों के संग
हंसी - खुशी से होली मनाएं ।

आओ रंगों की रंगोली सजाएं ।
अबकी बार होली ऐसे मनाएं ।। 4
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मईनुदीन कोहरी "नाचीज बीकानेरी"
मो. 9680868028

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