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ए कोरोना चला जा यहाँ से अभी ।बंद स्कूल हमाराखुलेगा तभी,प्रेम शंकर प्रेमी की कोरोना दर्द से उपजी रचना_sahitykunj

जा चला जा कोरोना
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ए कोरोना चला जा
 यहाँ से अभी ।
बंद  स्कूल हमारा
खुलेगा तभी ।।

मेरी मम्मी गरजती है
मुझपर सदा ।
बिना गलती किए मिलती
मुझको सजा ।।

हरपल बेलना दिखाकर
डराती है वो ।
गुस्से में पीठ पर चिमटा
बजाती है वो ।।

मुझको कहती हमेशा मैं
पढ़ता रहूँ ।
बिना मतलब काँपी पर
भूकड़ता रहूँ ।।

कोई पुस्तक नहीं है
मेरे वर्ग का ।
क्या करूँ कुछ पता भी
न होमवर्क का ।।

कक्षा औनलाइन चलती
पर मैं क्या करूँ ।
नहीं मिलती मोबाइल तो
किसपर पढ़ू ।।

कहते पापा लेकर फोन
बिगड़ जाऊँगा ।
गेम कार्टून को देखने में
रह जाऊँगा ।।

क्या करूँ कुछ समझ में
न आता मुझे ।
कोई रास्ता भी तो न
सुझाता मुझे ।।

बोर होता हूँ घर में रहूँ
रात -दिन ।
मन भी लगता नहीं है
विद्यालय के बिन ।।

कैद घर में रहूँ कबतक
मुझको बता।
ए कोरोना न बच्चों को
इतना सता ।।

जा चला जा कोरोना 
यहाँ से अभी।
विनती करते हैं तुझसे
हम बालक सभी।।

कवि--प्रेमशंकर प्रेमी (रियासत पवई ) औरंगाबाद

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