आदित्य कुमार प्रजापति द्वारा स्वरचित रचना ... इस रचना से किसी भी प्रकार से किसी भी संगठन समुदाय से कोई लेना देना नहीं है |
कोविड -19
2019 की वायरस का अजबे भी रूप था,
था तो सार्स वायरस ही|
लेकिन ना जाने क्या गज्बे रूप था,
वैज्ञानिकों ने नाम दिया कोविड-19 ||
क्या पता कि ये, महामारी का स्वरूप था..2
2019 की वायरस का अजबे रूप था ,
प्रवेश हुआ जब भारत में दहशत का रूप था |
क्या बतावे साहब उस समय भारत की स्थिति नाजुक था,
भारत में प्रवेश के साथ इसका दूसरा रूप था ||
2020 के वायरस का गज्बे रूप था..
2019 वायरस का अजबे रूप था ,
2020 वायरस का गज्बे रूप था|
अब और क्या बताएं साहब इस समय भारत में राजनीति का स्वरूप था ,
इस समय भारत में लॉकडाउन का स्वरूप था ||
2019 में वायरस का अजबे रूप था,
वायरस ने दिखा दिया कैसा कैसा दृश्य था|
कहीं थी भगदड़ तो कहीं जमातों का रूप था ,
कोई मान रहा था वायरस तो किसी के लिए नहीं कोई स्वरूप था||
2020 वायरस का गज्बे रूप था..
2019 वायरस का अजबे रूप था,
पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया दुनिया का भी गज्बे रूप था|
अब और क्या कहें साहब 2020 में वायरस का गज्बे रूप था ,
दिखी थी राज्यों में स्वास्थ्य का कैसा स्वरूप था||
ना दवा थी ना इंजेक्शन था बस दुआ का स्वरूप...
2019 में वायरस का अजबे रूप था ..2
अब और क्या बताएं साहेब 2021 में भारत की स्थिति नाजुक था ,
वायरस ने चपेट लिया पूरे भारत को महामारी का रूप था |
पूरे भारत में फैला काल का रूप था ,
लेकिन इसे कहां पता था भारत सन्यासी स्वरूप था ||
2019 वायरस का अज्बे रूप था,
2020 का गज्बे रूप था|
2021 का तो कहना मुश्किल था,
ब्लैक फंगस इसी का स्वरूप था||
यह काल का बहुत बड़ा रूप था..
2019 में वायरस का अजबे रूप था ,
2021 तो कहना मुश्किल था|
आ गए चपेट में हम भी बचना मुश्किल था ,
लेकिन हमारे अंदर संजीवनी वैक्सीन का स्वरूप था ||
2021 का तो कहना मुश्किल था, वायरस का अज्बे गज्बे रूप था..
त्रुटियों की संभावना हो सकती है लेकिन सकारात्मकता के साथ इसे समझने का प्रयास करें हम इसके लिए कटिबद्ध है|
आदित्य कुमार प्रजापति