Type Here to Get Search Results !

एक सुहाना सफर

 222  212 212

काफिया-ना रदीफ़-सफर


*** एक सुहाना सफर ***

*********************

जीवन प्यारा  सुहाना सफर,

दीवाना सा  मस्ताना  सफर।


कटती  ही ना  अकेले कभी,

साथी बिन हो विराना सफर।


चलने  से  राह  आसान  हो,

थम जाए ना  मुहाना  सफर।


मिलती  रहती  सदा  ठोकरें,

धूमिल  होता  जुहाना सफर।


यारों  से गर  डगर  हो भरी

बन जाता है ठिकाना सफर।


पथ पर  कोई  नहीं  कष्ट हो,

नजरों का हो निशाना सफर।


मनसीरत  गर  अकेला  रहे,

बन जाती   राह थाना सफर।

**********************

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Post a Comment

1 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
sriram said…
बहुत सुंदर प्रयास ,बधाई