हे प्रभु माफी 🙏🙏
एक बेटी अर्थी उठाऐ खड़ी है
बहुत विपदा की घड़ी है
मौत मुख फैलाये खड़ी है
अपने भी पराऐ हो गये
सभी नाते रिश्ते दूर हो गये
हे प्रभु कैसे नियम बनाये ।
स्वंम मरे, स्वंम गंगा घाट जाये।
ये कैसी विपदा आन पड़ी है ।
मौत मुँह फैलाऐ खड़ी है ।
जिन मंदिरो मे चौढौका चढाते थे
वो भगवान भी मुख फेरे खड़े हैं
काश ये पहले पता होता
मंदिर, मस्जिद की बजाय
अस्पतालों में कुछ चढौका चढाया होता
तोह बेडो और आक्सीजन की कमी न होती
ये समस्या भी इतनी बडी न होती
इल्जाम डाक्टरो को देते है
कि वह भर्ती और बेड नही देते है
काश माला, फूल ,भोग,डाक्टरो को भी चढाया होता।
उनको भी भगवान बनाकर पूजा होता।
हम लडते झगड़ते है तो थाने जाते हैं
फिर क्यो नही रिपोर्ट लिखाने मंदिर जाते हैं
बीमार होते हैं भरती होने अस्पताल जाते हैं ।
तो फिर क्यो नही भरती होने मंदिर मस्जिद जाते हैं
लाखो का दान देने वाली जनता
अब अपना हिसाब मांग रही हैं ।
हे प्रभु, अब आप के आने की घड़ी है।
समस्या विकराल खड़ी है ।
और अपने भक्तों को बचाने की घड़ी है ।
हे प्रभु, अब तो कोई ऐसा चमत्कार दिखाओ ।
और मंदिर,मसजिद तो से बाहर आओ।
दीन दयाल विरदु संभारी,
हरहुँ नाथ मम संकट भारी
हरि ओम तत्सत🙏🙏🙏🙏
पुष्पा रावत स॰अ॰ महराजगंज रायबरेली