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खिड़कियों से झांकती आँखों में ?- खेमराज साहू "राजन "


 

कैसा ये डर, कैसी ये कहर है ?

एक ऐसा ही महमारी ,

भयंकर फैली बीमारी ,

जो लोगो को कर रहे है बीमार,

विदेशो से ही , आने वाले  हो रहे है शिकार ,

लोग हो रहे है ,आइसोलेशन

यही है ,परफेक्ट सॉलूशन

खिड़की  से, झांकती आँखों  में,

कैसा ? ये कोरोना का डर है,

साथ ही लॉक  डाउन का कहर है ,

कोरोना से सावधानी ही सुरक्षा है ,

पुरे विश्व के लिए ,कैसी कठिन परीक्षा है ?

बीमार खुल कर नहीं कह सकते ,        

कि मैं बीमार  हूँ , बीमारी का शिकार हूँ ?

खिड़कियों से झांकती आँखों में ?

कैसा ये डर, कैसी ये कहर है ?

लोग बीमार के अपडेट में व्यस्त है ,

पुलिस और डॉक्टर ड्यूटी में पस्त है ,

गरीब और मजदूरों को है कल कि फ़िक्र ,

घर घर में है केवल कोरोना का जिक्र

खिड़कियों से झांकती आँखों में ?

कैसा ये डर , कैसी ये कहर है ?

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रचनाकार

खेमराज साहू (राजन )

ग्राम पोस्ट कुथरेल



तहसील जिला दुर्ग

छत्तीसगढ़ 491221 

मोबाइल-8827271176

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