सत्य कर्म के लिए कभी न आलस नाम को,
बहाना बनाकर न बिगाड़ श्रेष्ठ काम को l
जो गीता के उपदेश उसे आत्मसात कर लो,
विजय के हर पथ को कर्म के साथ कर लो
जीवन एक रंगमंच बेहतर एवं सत्य लीला है,
दूसरों को आघात कर कैसे जीवन जीना है l
मानव के आँख में धूल झोंक कर कैसे बच पाओगे,
लेकिन परम ब्रम्ह के न्याय से क्या बचा ले जाओगे l
धोखा दे कर कुछ क्षण ही खुश रह पाओगे,
शेष क्षण जीवन को अफसोस मे बिताएंगे l
मन के सकारात्मक शक्ति का आह्वान करो,
नकारात्मक चरित्र के विश्वास का त्राण करो l
बिना व्यथाओं के मनुज मे रंग प्रिय भाता नहीं,
ठोकरे खाए बिना पथ ठोस जग पाता नहीं l
गीता उपदेश के हर श्लोक हैं बहुमूल्य,
चिन्ता करना चिता के है समतुल्य l
चिंता क्या करना सत्य पथ पर बढ़ते चलो,
जीवन के लक्ष्यों को कर्म से समन करते चलो l
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स्वरचित एवं मौलिक
खेमराज साहू "राजन" दुर्ग, छत्तीसगढ़