कविता
अब तो हो जाओ सावधान
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अब तो हो जाओ सावधान,
व्यर्थ की नहीं गवाँओं जान,
अब भी गर नहीं चेते तब,
खाली नहीं मिलेंगे शमसान।
अब तो हो जाओ सावधान...।
अब नादानी,मनमानी छोड़ो,
अब तो वक्त की आहट पहचान,
जो भी कहें बड़े,बुजुर्ग, डॉक्टर ,
तुम उनकी बात को मान।
अब तो हो जाओ सावधान...।
बिना काम नहीं निकलो बाहर,
सोशल डिस्टेन्ससिग को लक्ष्मण रेखा जान,
मुँह पर सदा मास्क लगाकर,
तब घर से निकलो श्रीमान।।
अब तो हो जाओ सावधान...।
समय समय पर गर्म पानी,काढ़ा पियो,
स्वच्छ ,स्वस्थ्य करो जलपान,
गर्म पानी फिट्किरी से किया करो गरारा,
सदा रखो होठों पर मुस्कान।
गर हल्की सर्दी,खाँसी, बुखार हो जाये,
लो डॉक्टरी सलाह, दो स्वास्थ्य पर ध्यान,
नहीं किसी के बारे में बुरा सोचो
ईश्वर करेंगे तेरा कल्याण।
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अरविन्द अकेला