हद
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ना हद अंधेरे की ,
ना हद उजाले की,
मन में विश्वास हो तो,
फरक ना इन बातों की।
तुझी को माने खुदा,
तुझी को माने देवता,
कोई भजे राम नाम,
कोई दरगाह में खड़ा।
अम्बर से खुदा की,
बरकत जो बरसे,
अंधेरी काली रात भी,
चांदी सी चमक उठे।
धर्मांधता से बंद आंखें,
इबादत से खुलेगी,
हो देवकृपा तो,
जिन्दगी महक उठेगी।
कायनात का हरेक,
राज वो जानता,
कबीर रहीम भी खुद को,
रामानुरागी मानता ।
सब्र सुकून बिन ,
खुशगवार ना होगी जिन्दगी,
खुदा की है नेमत,
करो उसकी बंदगी ।
सुषमा सिंह
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(सर्व सुरक्षित एवं मौलिक)