Type Here to Get Search Results !

डा अंजुल कंसल"कनुप्रिया" की लघुकथा खटिया तोड़ना_sahityakunj

लघुकथा:-
- खटिया तोड़ना

सुशीला देवी बड़ी कर्मठ और साहसी महिला थीं। उनके चार बच्चे थे ,और छोटा वाला बेटा सवा साल का था, तब वह ग्राम सेविका की नौकरी के लिए घर से निकलीँ। काफी पुरानी बात है उस समय महिलाएं नौकरी के लिए नहीं निकलती थीं। सुशीला देवी ने अथक परिश्रम से अपना जीवन निकाला। ससुराल वाले, मायके वालों ने आर्थिक रूप से उनका सहयोग नहीं दिया।उन्होंने मजबूरन नौकरी की, क्योंकि उनके पति सदा खटिया तोड़ते थे और कुछ काम धाम नहीं करते थे।
" काम के ना काज के सौ मन अनाज के" 
सुशीला देवी ने अपने दोनों लड़कों को इंजीनियर बनाया ।आज वह ऊँचे ओहदे पर कार्यरत हैं। अपनी दो बेटियोँ की उन्होंने शादी कर दी।सुशीला देवी की हिम्मत हौसले और निर्डरता को नमन करते हैं।

डा अंजुल कंसल"कनुप्रिया"
4-5-21

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.