खटीयां तोड़ना
-:लघुकथा :-
प्रेषक-डॉ अलका पाण्डेय , राष्ट्रीय अध्यक्ष ,अग्निशिखा मंच,मुम्बई
माधवी बहुत आलसी थी सारा दिन खटीयां तोड़ा करती , पर बहू का आराम आँखों में काँटा बन कर चुभता था ।
ज़रा देर बहू को न देखें तो ..
बहू ओ बहू अरे ओ नाश पीटी कहाँ मर गई , खटीयां तोड़ रही होगी , भगवान बचाये आज कल की बहूओ से
ज़रा काम किया नहीं की खटीयां तोड़ती नज़र आती है
शीला माँ की आवाज़ सुन समझ गई कुछ भी कर लो पर माँ जी को मैं ख़ुश नहीं रख सकती एक महिने की बच्ची है मेरी गोद में क्या मैं उसे दूध न पिलाऊँ ...सुलाऊँ नहीं माँ को दया नाम की चीज नहीं है कुछ करना पड़ेगा मुझे , नहले पर दहला देना होगा और वह कमरे से बहार आ कर बोली का हुआ माँ जी क्या बात हो गई जो आप मुझे कोस रही थी , क्या बेटी को दूध न पिलाऊँ भूखी मरने के लिये छोड़ दूँ ...
लड़का होता तो भी आप इसी तरह कोसती बोलो ...आप लड़की न हो ..जो मेरी बेटी जींस दिन से आई हैं आप कोसती रहती हो ...
और शीला ने बेटी को वहीं ज़मीन पर लिटा दिया और माँ जी से बोली अब आज के बाद मैं इसे हाथ नहीं लगाऊँगी ..आप को
ही देखना है दूध पिलाओ नहलाओ सब पर मैं नहीं गोद में लूगी आप हमेशा खटीयां तोड़ने का ताना देती रहती है मैं कामचोर नहीं हूं पर मैं इंसान हूँ थक जाती हूँ ।
और शीला आँखों में आये आँसू पोंछती हुई काम में लग गई ..
कुछ देर में बिटीया रोने लगी अब माँ जी परेशान बहू ले ले इसे चुप करा लो मेरे वंश का नहीं है । पर शीला ने अंनसुनी कर दी माँ जी आज अपने शब्दो पर बहुत अफ़सोस कर रही थी नाहक में शीला को चिल्लाती हूँ ..जब की खाट तो मैं तोडती हूँ वह तो सारा दिन काम करती है ।
बिटीया रोयें जा रही थी ,
पडोसी आ गई और बोली बच्ची क्यों रो रही है माँ नहीं है क्या, इसकी ...? माँ जी क्या बोलती जब बच्ची का बुरा हाल होगया रो रो कर तब माँ जी शीला के पास गई और बोली बहू सबके सामने माफी माँगती हूँ आज के बाद बेटा -बेटी में फ़र्क़ न करुगी उठा ले गोद में मेरी लाडो को वर्ना मर जायेगी माफ़ कर दे मुझे ।
शीला बोली माँ जी माँफी मत माँगो , हम औरतें ही अपनी बेटियों को प्यार नहीं देगी तो समाज कैसे देगा ।
पड़ोसी महिलाओं ने शीला की बात का समर्थन किया और कहाँ आज से हम सभी बहू , बेटी को प्यार से रखेंगे वहीं तो हमारी वंशबेल बढ़ाती है ,
माँ जी पंलग पर लेट गई और बोली अब लिटा दें मेरी लाडो को मेरे पास आज से हम दोनों खटीयां तोड़ा करेंगे और बहू तुम आराम से काम करना ।
शीला ने मुस्करा कर बिटीया को माँ जी की गोद में दे दिया
माँ जी लाडो को सीने से लगा लिया ।
@डॉ अलका पाण्डेय , राष्ट्रीय अध्यक्ष ,अग्निशिखा मंच,मुम्बई