*कहीं पनाह नहीं*
अच्छे कर्म करो
तो लुटे जाओगे
बुरे कर्म करो तो ब्लैकमेल किए जाओगे
कर्म तुम्हारा जितना अच्छा होगा
तुम उतना प्रयोग में आओगे
कर्म तुम्हारा जितना बुरा होगा
तुम उतना लुटे जाओगे
कर्म कर्म की बात है
कर्म अच्छा हो या बुरा
सब मानव के हाथ है
आज अच्छाई की पनाह नहीं
तो आज बुराई का भी पनाह नहीं
बस लोग लूटे जा रहे हैं
लोग लूटते जा रहे हैं
कोई किसी को
अच्छे कर्म का फायदा
तो कोई किसी का
बुरे कर्म से फायदा
बस लेते जा रहें हैं
आश्चर्य लगता हमको भी
जब अच्छाई को नहीं छोड़ते
तो बुराई की बात छोड़ो
लोगों को कहीं पनाह नहीं
अच्छे लोग भी बुरे बनते जा रहे हैं
बुरे लोग लूटते जा रहे हैं...
फिर भी कहीं पनाह नहीं लोगों की
----आदित्य प्रजाति