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प्यार पर मेरी ताजी रचना पढिये और पढ़ाइये_akela

कविता 

      



प्यार
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प्यार एक अहसास है
एक दूजे का विश्वास है,
यह है उस रब की लीला,
जो हम सभी के पास है।

प्यार एक पूजा,एक इबादत है,
प्यार एक खुश्बू,एक स्पंदन है,
प्यार है ईश्वर की एक रचना,
धरती माता का एक चंदन है।

प्यार में अपनापन है,वेदना है,
प्यार में भक्ति है,भावना है,
प्यार में हर्ष है,समर्पण है,
प्यार में त्याग है,करुणा है।

प्यार एक त्याग,एक तपस्या है,
यहीं पूर्णिमा,यहीं अमावस्या है,
प्यार हर दुख का समाधान,
जीवन की नहीं कोई समस्या है।

प्यार में नहीं कोई राजा,
नहीं फकीर,नहीं रंक है,
प्यार में नहीं कोई दाग,
यह पूर्णतया निष्कलंक है।
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           अरविन्द अकेला

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2 Comments
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प्यार निरपेक्ष, सापेक्ष, और परम
Sushma Singh said…
प्यार निष्कलंक है
100%सही। बहुत सुंदर रचना 👍