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सुन्दर फुलवारी


 *सुन्दर फुलवारी*

फूल   प्रकृति   का  उपहार,

करता  धरती   का   श्रृंगार।

विहँसने  लगे नर और नारी,

कितनी  सुन्दर है फुलवारी।


फूल  लगे  हैं  डाली- डाली,

तितली झूम रही  मतवाली।

खिले फूल हैं क्यारी-क्यारी,

कितनी सुन्दर  है फुलवारी।


हवा के  साथ  हाथ मिलाए,

प्यारी  खुशबू  खूब  लुटाए।

खिल रही हैं कलियाँ प्यारी,

कितनी सुन्दर है फुलवारी।


गेन्दा, गुलाब ,चम्पा, चमेली,

अड़हुल,कनइल  और बेली।

मधुमक्खियाँ  यहाँ   पधारी,

कितनी  सुन्दर  है फुलवारी।


जाति  , धर्म,  रूप , रंग  की,

भारत   भूमि   भाषा  प्यारी।

एकता  का   संदेश   सुनाती,

कितनी  सुन्दर  है फुलवारी।

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यह मेरी मौलिक एवं स्वरचित

कविता है।

विजय कुमार,कंकेर,औरंगाबाद।

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